नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 429 करोड़ रुपये के धन की कथित हेराफेरी से जुड़े मामले में पुणे स्थित सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन को चिकित्सा आधार पर सोमवार को अंतरिम जमानत दे दी।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सेवा विकास कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन अमर साधुराम मूलचंदानी की स्वास्थ्य स्थिति पर गौर करने के बाद उन्हें राहत दे दी।
न्यायालय ने मुंबई के जे जे अस्पताल के चार विशेषज्ञ चिकित्सकों के एक बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया। उसने यह भी कहा कि मूलचंदानी को जेल में एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है।
मूलचंदानी को पिछले साल एक जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। उनके तथा अन्य लोगों खिलाफ धन शोधन की जांच बैंक की शिकायतों और ‘रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज’ द्वारा किए गए ऑडिट के आधार पर पुणे पुलिस द्वारा दर्ज कई प्राथमिकियों के चलते शुरू हुई। ऑडिट में पाया गया कि ‘‘बड़े पैमाने’’ पर धोखाधड़ी और जनता के धन की हेराफेरी से सेवा विकास कोऑपरेटिव बैंक को 429 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे ‘‘हजारों छोटे जमाकर्ताओं को हानि हुई।’’
ईडी ने कहा था कि बैंक को ‘‘किसी भी विवेकपूर्ण बैंकिंग मानदंडों का पालन किए बिना अमर मूलचंदानी द्वारा एक पारिवारिक संपत्ति की तरह चलाया जा रहा था और बड़े पैमाने पर रिश्वत के बदले में ऋण स्वीकृत किए गए थे।’’
एजेंसी के अनुसार, 92 प्रतिशत से अधिक कर्ज की धनराशि को गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल दिया गया जिससे बैंक दिवालिया हो गया और बाद में आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया।
महाराष्ट्र पुलिस ने 27 जनवरी को बैंक के पूर्व चेयरमैन के खिलाफ ईडी की छापेमारी में ‘‘बाधा डालने’’ और ‘‘सबूत नष्ट’’ करने के आरोप में मूलचंदानी तथा उनके परिवार के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
ईडी ने पहले मूलचंदानी की कुछ ‘‘बेनामी’’ संपत्तियों सहित 122.35 करोड़ रुपये की संपत्ति भी अस्थायी रूप से कुर्क कर ली थी।
भाषा गोला मनीषा
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