मोदी सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही : राहुल गांधी

मोदी सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही : राहुल गांधी

मोदी सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही : राहुल गांधी
Modified Date: April 1, 2025 / 09:34 pm IST
Published Date: April 1, 2025 9:34 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है। उन्होंने सरकार से उच्चतम न्यायालय में वन अधिकार अधिनियम का बचाव करने के लिए तेजी से कदम उठाने का आग्रह किया।

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) की अवहेलना कर रही है, जिसके कारण लाखों आदिवासी परिवार अपनी पारंपरिक जमीन से बेदखल होने का सामना कर रहे हैं।

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उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने तथा आदिवासियों को उनके ‘‘जल, जंगल और जमीन’’ पर अधिकार सुनिश्चित करने के लिए 2006 में यह कानून पेश किया था।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हालांकि, केंद्र सरकार की निष्क्रियता के कारण एफआरए के तहत अनगिनत वास्तविक दावों को बिना किसी समीक्षा के मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘2019 में, उच्चतम न्यायालय ने उन सभी लोगों को बेदखल करने का आदेश दिया जिनके दावे खारिज कर दिए गए थे, इस कदम से पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जवाब में, अदालत ने बेदखली की प्रक्रिया रोक दी और खारिज किए गए दावों की गहन समीक्षा करने का आदेश दिया।’’

गांधी ने आरोप लगाया कि यह मामला दो अप्रैल को फिर से उच्चतम न्यायालय में आया और एक बार फिर मोदी सरकार इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाने में नाकाम रही।

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘सरकार 2019 में कानून का बचाव करने में विफल रही और आज भी आदिवासी अधिकारों के लिए खड़े होने का कोई इरादा नहीं दिखाती है। इससे भी बुरी बात यह है कि लाखों लंबित और खारिज किए गए दावों की समीक्षा या पुनर्विचार करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि मोदी सरकार वास्तव में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना चाहती है और लाखों परिवारों को बेदखली से बचाना चाहती है, तो उसे तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए और अदालत में वन अधिकार अधिनियम का बचाव करना चाहिए।’’

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश


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