34 साल बाद मोदी सरकार ने लाई नई शिक्षा नीति, जानें स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में क्या हुए बदलाव?

34 साल बाद मोदी सरकार ने लाई नई शिक्षा नीति, जानें स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में क्या हुए बदलाव?

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  • Publish Date - July 29, 2020 / 12:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को लागू किया गया। बता दें कि कि इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले साल एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था, जो आज केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

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नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ ही एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को इसकी जानकारी दी।

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। मुझे उम्मीद है कि देशवासी इसका स्वागत करेंगे।

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जानें नई शिक्षा नीति की ये अहम बातें
– ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है।
– उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे ने बताया कि मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।
– उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50% सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य और एक से ज्यादा प्रवेश/एग्ज़िट का प्रावधान शामिल है।
– 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं।
– देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक (Regulator) होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक ‘ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम’ पर काम करेगा।
– उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे ने कहा कि हमने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है।
– U.S. की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर भारत में NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) आएगा। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में आगे आने में मदद करेगा।
– मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।

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