हिंदुओं के साथ भेदभाव कर रही मोदी सरकार, अल्पसंख्यकों के लिए जारी किए 4700 करोड़ रुपये, सुप्रीमकोर्ट ने मांगा 4 हफ्ते में जवाब | Modi government discriminating against Hindus, released 4700 crores for minorities, Supreme Court asks for reply in 4 weeks

हिंदुओं के साथ भेदभाव कर रही मोदी सरकार, अल्पसंख्यकों के लिए जारी किए 4700 करोड़ रुपये, सुप्रीमकोर्ट ने मांगा 4 हफ्ते में जवाब

हिंदुओं के साथ भेदभाव कर रही मोदी सरकार, अल्पसंख्यकों के लिए जारी किए 4700 करोड़ रुपये, सुप्रीमकोर्ट ने मांगा 4 हफ्ते में जवाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : January 21, 2020/8:13 am IST

लखनऊ। मोदी सरकार द्वारा पिछले बजट में अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए दिए गए 4700 करोड़ रुपये को भेदभाव पूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर केंद्र सरकार 4 हफ्ते में नोटिस का जवाब देगी।

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याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि इसमें मुख्य मुद्दा यह है कि नैशनल माइनॉरिटी कमिशन ऐक्ट 1992 की वैधता को चुनौती दी गई है। हमारा कहना है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार या गवर्नमेंट मशीनरी किसी भी तरह के धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार नहीं दे सकती है। संविधान के आर्टिकल 29 और 30 में यह उनका खुद का अधिकार है कि वे अपने संस्थान, संस्कृति की रक्षा करें और आगे ले जाएं। यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि उनके प्रोटेक्शन के लिए पैसा खर्च करे।’

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याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि “सरकार जो 4,700 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, यह आर्टिकल 27 का उल्लंघन है क्योंकि करदाताओं के पैसे से आप किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यकों को लाभ नहीं दे सकते हैं।”

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हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के अध्यक्ष और वकील हरि शंकर जैन कहते हैं, ‘केंद्र सरकार ने 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है कि हम इससे अल्पसंख्यकों के लिए काम करेंगे। जैसे कि अल्पसंख्यकों को विदेश जाना है, पढ़ाई करना है, इनके लिए स्कॉलरशिप की तर्ज पर मदद मुहैया कराएंगे। वक्फ प्रॉपर्टी को यदि बनवाना चाहते हैं तो ब्याजमुक्त लोन देंगे। यदि मुस्लिम महिलाएं स्किल डिवेलपमेंट चाहती हैं तो उनकी भी आर्थिक सहायता की जाएगी।’

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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ऐक्ट के तहत आने वाली कल्याणकारी योजनाओं में 14 स्कीम शामिल हैं। इन योजनाओं में से ज्यादातर मुसलमानों के लिए हैं। स्कीम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस लाभकारी योजनाओं का लाभ एक खास समुदाय को मिल रहा है जबकि ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को इन लाभों से वंचित रहना पड़ रहा है।

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याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इसे कुछ यूं भी समझा जा सकता है कि अल्पसंख्यक वर्ग की पांच या छह लाख रुपये आमदनी होगी तो उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा। ऐसे में जब हिंदुओं की 5-6 लाख रुपये आमदनी है तो उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा।’