बर्लिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी दौरे के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में माफियागिरी कर रहे चीन को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी बनाए जाने पर फोकस रहे हैं। यही नहीं पीएम मोदी इस महीने होने जा रहे G-7 की विशेष बैठक में भी शामिल होंगे। इस बैठक को जर्मनी खासतौर से रूस को घेरने के लिए आयोजित किया है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत और रूस के संयुक्त बयान में यूक्रेन युद्ध की आलोचना रूस को बड़ा संकेत है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
इस संयुक्त बयान में जर्मनी ने रूस के यूक्रेन पर हमले की आलोचना की है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत के साथ संयुक्त बयान में जर्मनी की अलोचना को जगह दिया जाना रूस को एक संकेत है। जर्मनी ने तमाम ऊहापोह के बाद अब भारत को भी जी-7 की विशेष बैठक में शामिल होने का न्योता दे दिया है। इस बैठक में रूस को यूक्रेन पर घेरने के लिए आयोजित किया गया है। जर्मनी की कोशिश है कि रूस के दोस्त भारत को किसी तरह से अपने पाले में लाया जाए। यही नहीं जर्मनी भारत को रूसी हथियारों का विकल्प मुहैया कराने के लिए तैयार है।
भारत और जर्मनी के संयुक्त बयान में दुनिया में संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व को रेखांकित किया गया है। दोनों देशों ने सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए कहा। भारत और जर्मनी ने हिंद- प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी बनाए जाने पर बल दिया। आसियान की केंद्रीयता को मान्यता दी गई। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बेरोक-टोक व्यापार और नौवहन की स्वतंत्रता के महत्व पर भी जोर दिया गया।