भागलपुर: Ashwini Choubey brother dies बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी लचर है इसका अंदाजा आप आज हुई घटना से लगा सकते हैं। इस घटना को जानने के बाद अगर आप आम आदमी हैं तो किसी सुविधा की उम्मीद ही छोड़ देंगे। दरअसल मोदी कैबिनेट के मंत्री अश्विनी चौबे के छोटे भाई निर्मल की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। हैरानी की बात तो ये है कि उन्हें उपचार के लिए आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब निर्मल की हालत बिगड़ी तो ड्यूटी में तैनात दोनों डॉक्टर नदारद थे। वहीं, जब ये मामला गरमाया तो आनन-फानन में दो डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया।
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Ashwini Choubey brother dies मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के भाई निर्मल को हार्ट अटैक आने के बाद मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बता दें निर्मल चौबे वायुसेना के रिटायर्ड अफसर हैं। निर्मल के बेटे नीतेश चौबे ने बताया कि पिता को शाम चार बजे घर पर ही सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई। शाम करीब साढ़े चार बजे उन्हें इलाज के लिए पहले इमरजेंसी में डॉ. एमएन झा की यूनिट में भर्ती कराया गया। जहां पर तत्काल कोई डॉक्टर नहीं मिले। बाद में दूसरे डॉक्टर ने निर्मल चौबे की हालत को गंभीर बताते हुए आईसीयू में शिफ्ट कर दिया।
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उन्होंने बताया कि पिता को भर्ती किया गया तो वहां पर कोई डॉक्टर नहीं थे, जबकि उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। यहां तक कि अटेंडेंट को बीपी मशीन क्या होती है, ये भी पता नहीं था। इस दौरान लगातार पिता की तबीयत बिगड़ती रही, लेकिन कोई डॉक्टर इलाज को नहीं पहुंचा। जहां शुक्रवार की शाम करीब छह बजे उनकी मौत हो गई।
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हंगामे के दौरान इमरजेंसी इंचार्ज डॉ. महेश कुमार फिर मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास को कोप का सामना करना पड़ा। सूचना मिलते ही पुलिस पहुंची और लिखित शिकायत मिलने पर कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। फिर अस्पताल अधीक्षक ने ड्यूटी से गायब रहे दोनों डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया। तब जाकर रात पौने नौ बजे परिजन लाश लेकर घर गए।
अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा परिजन ने कहा कि निर्मल तड़पते रहे पर डेढ़ घंटे तक इलाज नहीं हुआ। परिजन और युवा मोर्चा के नेताओं ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। अस्पताल के आईसीयू सें नर्स और अन्य कर्मी भाग निकले। अन्य मरीजों के परिजन सहम गए। मौके पर पहुंचे आईसीयू इंचार्ज डॉ. महेश कुमार भी परिजनों के आक्रोश का शिकार हुए और उन्हें लिखित रूप से परिजन ने लिखवा लिया कि लापरवाही से मरीज की मौत हुई।