आज फिर बेनतीजा खत्म हुई बैठक, किसानों ने नहीं माना कानून स्थगित करने का प्रस्ताव, सरकार ने कहा इससे बेहतर हम कुछ नहीं कर सकते

आज फिर बेनतीजा खत्म हुई बैठक, किसानों ने नहीं माना कानून स्थगित करने का प्रस्ताव, सरकार ने कहा इससे बेहतर हम कुछ नहीं कर सकते

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  • Publish Date - January 22, 2021 / 12:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

नईदिल्ली। कृषि कानूनों पर किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई। अगली बैठक की तारीख भी तय नहीं की गई है। बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानूनों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। कानूनों को 18 महीने तक टालने के अलावा इससे बेहतर विकल्प और कुछ नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से बेहतर प्रस्ताव दिया था, अगर किसानों के पास इससे अच्छा कोई प्रस्ताव है तो उसे लेकर आएं।

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सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया: राकेश टिकैत, किसान नेता #FarmersProtest pic.twitter.com/YnUQo5eqQL

— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 22, 2021

बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ में दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 58वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है। कृषि कानूनों पर कोई समाधान नहीं निकलने से समस्या जस की तस बनी हुई है। आज की बैठक में भी सभी किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को फिर दोहराया। जबकि सरकार ने डेढ़ साल के लिए काननू स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था।

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सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है: किसान नेता, सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद pic.twitter.com/01kgd1Fd6l

— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 22, 2021

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जानकारी के अनुसार, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की तरफ से 10वें दौर की वार्ता के दौरान कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक के लिए टालने का प्रस्ताव दिया था। इसको लेकर गुरुवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी थी। सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1.5 साल तक कानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करके समाधान ढूंढ सकते हैं।