मीडिया संगठनों ने पत्रकार लांगा से हिरासत में पूछताछ को ‘प्रक्रियाओं से परे जाना’ करार दिया

मीडिया संगठनों ने पत्रकार लांगा से हिरासत में पूछताछ को ‘प्रक्रियाओं से परे जाना’ करार दिया

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  • Publish Date - October 10, 2024 / 08:37 PM IST,
    Updated On - October 10, 2024 / 08:37 PM IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) मीडिया संगठनों ने पत्रकार महेश लांगा की अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तारी और 10 दिन की हिरासत को लेकर बृहस्पतिवार को चिंता जताते हुए, उनसे पूछताछ को ‘‘प्रक्रियाओं से परे जाना’’ करार दिया।

‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’, ‘दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’, ‘इंडियन वूमंस प्रेस कॉर्प्स एंड प्रेस एसोसिएशन’ ने कहा कि उनसे पूछताछ ऐसे व्यक्ति को प्रताड़ित करने का ‘‘शायद’’ एक तरीका है जिनका नाम शुरूआती प्राथमिकी में नहीं है।

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) घोटाला प्रकरण में कथित संलिप्तता को लेकर लांगा को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया है।

प्रेस संगठनों ने कहा, ‘‘गुजरात के विकास से जुड़ी उनकी रिपोर्ट की व्यापक रूप से सराहना की गई।’’

प्रेस संगठनों ने कहा कि उपलब्ध विवरण के अनुसार, अहमदाबाद स्थित जीएसटी खुफिया इकाई के महानिदेशक की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में उल्लेखित कंपनी के लांगा न तो निदेशक हैं और ना ही प्रवर्तक तथा उनके नाम से कोई लेन-देन या हस्ताक्षर नहीं पाया गया।

प्रेस संगठनों ने कहा, ‘‘कानून को अपना काम करने देना चाहिए, लेकिन हमें लगता है कि महेश लांगा को हिरासत में रखकर पूछताछ किया जाना प्रक्रियाओं से परे जाना है और यह शायद एक ऐसे व्यक्ति को प्रताड़ित करने का तरीका है जिनका नाम तक प्राथमिकी में नहीं है।’’

प्रेस संगठनों ने कहा, ‘‘जब मामले की तह तक जाना जरूरी है, हमें लगता है कि वाजिब प्रक्रिया से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और आरोपी व्यक्तियों को विस्तारित हिरासत में रखकर पूछताछ करने के बहाने बेवजह प्रताड़ित नहीं किया जाए।’’

अहमदाबाद अपराध शाखा ने मंगलवार को गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार लांगा को गिरफ्तार किया था।

अपराध शाखा की एक विज्ञप्ति के अनुसार, सोमवार को शहर की अपराध शाखा ने कथित घोटाले की केंद्रीय जीएसटी से सूचना मिलने के बाद कई व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

विज्ञप्ति के अनुसार, इस कथित घोटाले में फर्जी कंपनियां शामिल हैं जिनकी स्थापना फर्जी ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ एवं लेन-देन के जरिये सरकार से धोखाधड़ी करने के लिए की गई थी।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश