देहरादून। उत्तराखंड राज्य समान नागरिक संहिता (UCC) कानून लागू करने वाला राज्य बनने वाला है। बता दें कि पेश किए गए इस यूसीसी बिल में सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों का प्रस्ताव है। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा। इस तरह से गोवा के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा।
समान नागरिक संहिता लागू करने के उत्तराखंड सरकार के फैसले पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदानी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मौलाना अरशद मदानी ने UCC पर कहा कि हमें कोई ऐसा कानून स्वीकार्य नहीं है जो शरीयत के खिलाफ हो, क्योंकि मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है, लेकिन शरीयत से नहीं। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि किसी भी धर्म को मानने वाला अपने धार्मिक कार्यों में किसी प्रकार का अनुचित हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता। मौलाना ने कहा, समान नागरिक संहिता के नाम पर भेदभाव क्यों? यदि अनुसूचित जनजातियों को संविधान विधेयक से छूट दी जा सकती है तो मुसलमानों को क्यों नहीं। शरीयत के खिलाफ कोई भी कानून हमें मंजूर नहीं।
समान नागरिक संहिता के नाम पर भेदभाव क्यों
यदि अनुसूचित जनजातियों को संविधान विधेयक से छूट दी जा सकती है तो मुसलमानों को क्यों नहीं
शरीयत के खिलाफ कोई भी कानून हमें मंजूर नहीं।— Arshad Madani (@ArshadMadani007) February 6, 2024
बता दें कि 4 फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से समान नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी मिली थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक को विधानसभा में पेश करते हुए कहा कि राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित हैं।
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