4 मार्च : राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, सुरक्षा के बिना पूर्ण समर्पण संभव नहीं, देखें कितनी जरुरी है कार्यक्षेत्र में स्वयं और मशीनरी की सिक्योरिटी | March 4: National Security Day How important is the safety of self and machinery in the field

4 मार्च : राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, सुरक्षा के बिना पूर्ण समर्पण संभव नहीं, देखें कितनी जरुरी है कार्यक्षेत्र में स्वयं और मशीनरी की सिक्योरिटी

4 मार्च : राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, सुरक्षा के बिना पूर्ण समर्पण संभव नहीं, देखें कितनी जरुरी है कार्यक्षेत्र में स्वयं और मशीनरी की सिक्योरिटी

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:03 PM IST
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Published Date: March 4, 2021 8:46 am IST

नई दिल्ली।  इस संसार में किसी भी प्राणी-वनस्पति का जीवन शुरु होते ही रक्षा– सुरक्षा की प्रक्रिया शुरु हो जाती है। ठंडे प्रदेशों में जन्म लेने वाले प्राणी उन खूबियों के साथ ही पैदा होते हैं। जिनसे वे उन परिस्थितयों का आसानी से सामना कर सकें।  पशुओं के घने बाल उन्हें शीत के प्रकोप से बचाते हैं। पेड़ों की झाल उन्हें मौसम के अनुकूल बनाती है। इसी प्रकार गर्मीले प्रदेशों में प्राणी को उन परिस्थितियों के अनुसार जन्म लेता है। सुरक्षा हमेशा प्राणियों के साथ चलती है। ये रक्षा बहुत जरुरी है।
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सीमा पर तैनात जवान देश की शत्रुओं से रक्षा करते हैं। खेत में हल जोत कर किसान भूख से रक्षा करता है। हमारी त्वचा और बाल शरीर की रक्षा करते हैं, हमें अपनी त्वचा की सुरक्षा परत की अहमियत तब पता चलती जब हमें एक खरोंच भी लग जाती। जब नन्हें कदम चलना प्रारंभ करते हैं तो मां साये की तरह उसके साथ चलती है। दरअसल रक्षा जीवन का एक आवश्यक अंग है। जिसके बिना एक कदम भी चलना संभव नहीं….क्षेत्र कोई भी हो सुरक्षा के बिना पूर्ण समर्पण संभव नहीं ।

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कृषि के बाद देश की अर्थव्यवस्था में सबसे प्रमुख हैं उद्योग…व्यवसाय ही विकास की धुरी है..उत्पादन ही देश के जीडीपी तैयार करती है। हम ये बात नि: संकोच कह सकते हैं कि मानव की आर्थिक विकास अवस्था कारखानों से होकर गुजरती है। उत्पादन तब स्मूथ होता है जब फैक्ट्रियों में वर्करों के लिए काम करने का माहौल हो, संसाधनों के साथ सबसे अहम है सुरक्षा, जिसमें ऊंचे मानदंडों का पालन किया जा रहा हो। ये माना जाता है कि भारी-भारी मशीनों के बीच खुद को सुरक्षित पाता वर्कर ही अपना 100 प्रतिशत योगदान दे सकता है, यही वजह है कि औद्योगिक सुरक्षाको बहुत गंभीरता से लिया जाता है। 4 मार्च को औद्यौगिक सुरक्षा दिवस के रुप में मनाया जाता है । इस दिन कारखानों में हर तरह की सुरक्षा पर ध्यान आकृष्ट कराया जाता है।

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4 मार्च 1966 को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की स्थापना की गई। इस दिन भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा के लिये प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करने की शुरूआत की । उसके बाद से औद्योगिक दुर्घटनाओं की दर में कुछ कमी आई है। यह अभियान लोगों की सुरक्षा और आवश्यकताओं को ध्यान रखते हुये विशिष्ट गतिविधियों का विकास करने के लिये बनाया गया है। एक सप्ताह तक यह दिवस जिस जगह मनाया जाता है, वहां उस स्थान और उसके चारों ओर की जगह की सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है । लेकिन इस प्रकार की सुरक्षा के लिये कारखाने में कार्यरत हर एक व्यक्ति का सहयोग होना भी जरुरी है।

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बड़ी-बड़ी मशीनों और उत्पादन के बीच वहां काम कर रहे कर्मचारियों को सुरक्षा का वातावरण देना बेहद जरुरी है, हर फैक्ट्री में सुरक्षा के मानदंड तय किए जाते हैं। कर्मियों से अपेक्षा की जाती है, वह सभी रक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करें। दास्ताने पहनकर ही कार्य करें, प्रमुख कार्यो के समय हेलमेट जरुर लगाएं। क्रेन का उपयोग करते समय तो विशेष सावधानी की जरुरत होती है। ऐसे अनेक मौके होते हैं जिसे यहां कार्यरत कर्मचारी बेहतर समझते हैं, हमारी ऐसी अपील है कि किसी भी कार्य के संचालन में सुरक्षा का जरुर ध्यान रखें। आपका जीवन अनमोल है,इसकी रक्षा के लिए समस्त उपाय करें।

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एक छोटी सी चूक जीवन भर के कष्ट का कारण बन जाती है। समय रहते किसी भी बड़ी आग को एक मग पानी डालकर बुझाया जा सकता है। मोटर साइकिल चलाते समय यदि हेलमेट लगा लिया जाए तो सिर की सुरक्षा की गारंटी होती है, वैसे ही किसी कार्य के अनुरुप सुरक्षा का उपयोग करने से हमारे शरीर की सुरक्षा निश्चित हो जाती है। कारखाना हो या सड़क,दफ्तर हो या घर आप अपना बेहद ख्याल रखें।