एनएसडी में मनोज बाजपेयी को मौका नहीं मिला, पर उनका करियर शानदार रहा : एनएसडी निदेशक

एनएसडी में मनोज बाजपेयी को मौका नहीं मिला, पर उनका करियर शानदार रहा : एनएसडी निदेशक

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  • Publish Date - January 24, 2025 / 05:19 PM IST,
    Updated On - January 24, 2025 / 05:19 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी का कहना है कि अभिनेता मनोज बाजपेयी को संस्थान में प्रवेश नहीं मिलना असंगत प्रतीत हो सकता है लेकिन इसका उनके करियर पर कोई असर नहीं पड़ा और मौजूदा समय में वह सिनेमा के क्षेत्र में एक बेहद सफल कलाकार हैं।

एनएसडी में दाखिले के लिए कई बार कोशिश करने वाले मनोज बाजपेयी ने 1998 की फिल्म ‘सत्या’ में भीकू म्हात्रे की यादगार भूमिका के जरिये हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई और मौजूदा समय में वह एक बेहद सफल कलाकार हैं।

त्रिपाठी ने कहा कि बाजपेयी इतने शानदार अभिनेता हैं कि एनएसडी के प्रशिक्षण के बिना भी वह काफी सफल साबित हुए हैं और मौजूदा समय में करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

एनएसडी निदेशक त्रिपाठी ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ के मुख्यालय में एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ यह एनएसडी के लिए नुकसान नहीं है, यह एनएसडी के लिए फायदा है कि मनोज जी की जगह किसी अज्ञात व्यक्ति का चयन हुआ, जिसे कुछ सीखने का मौका मिला। मौजूदा समय में अगर मनोज जी करोड़ों रुपये कमा रहे हैं तो हो सकता है वो व्यक्ति भी हजारों रुपये कमाकर अपना गुजारा कर रहा हो।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह संस्थान के लिए नुकसानदेह है कि बाजपेयी ने एनएसडी से प्रशिक्षण नहीं लिया तो त्रिपाठी ने कहा, ‘‘ यह एनएसडी के लिए कोई नुकसान नहीं है और निश्चित रूप से मनोज जी के लिए भी कोई नुकसान नहीं है। यह दोनों पक्षों के लिए फायदे वाली स्थिति साबित हुई।’’

त्रिपाठी (53) ने कहा कि दिल्ली में रंगमंच (थिएटर) के लोकप्रिय निर्देशक बैरी जॉन के साथ काम कर रहे बाजपेयी ने जब एनएसडी में आवेदन किया था, तब वे नाटक के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इसके बारे में सुना है और मैंने व्यक्तिगत रूप से यह होते देखा है कि उस समय लोग किसी को अस्वीकार कर देते थे यदि उन्हें लगता था कि वह पहले से ही प्रतिभाशाली है। ‘क्यों न किसी और को लिया जाए जिसे एनएसडी की अधिक जरूरत है’।’’

बाजपेयी ने ‘पीटीआई’ के साथ एक पूर्व साक्षात्कार में नाटक विद्यालय के साथ अपने संबंधों की तुलना द्रोणाचार्य और एकलव्य के बीच रिश्ते से की थी।

बाजपेयी ने कहा था, ‘‘एनएसडी के साथ मेरा रिश्ता कुछ वैसा ही है जैसा एकलव्य का गुरु द्रोणाचार्य के साथ था। यह अलग बात है कि उन्होंने मुझसे अंगूठा नहीं मांगा। उन्होंने मेरा स्वागत किया है। वे मुझे छात्रों के साथ कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए बुलाते हैं। यहां परस्पर सम्मान की भावना है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है।’’

भाषा रवि कांत रवि कांत माधव

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