नई दिल्ली। Mann Ki Baat 113th Episode: हर महीने के आखिरी रविवार को पीएम मोदी ‘मन की बात’ करते हैं और देश की जनता से रू-ब-रू होते हैं। आज पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 113वां एपिसोड प्रसारित किया गया। इसके पहले पीएम मोदी ने पिछले महीने 28 जुलाई को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया था। यह इस प्रोग्राम का 112वां एपिसोड था। वहीं के इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत की नींव मजबूत हो रही है। हम सभी ने चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मनाया। 23 अगस्त को पहला नेशनल स्पेस डे बनाया गया।
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि, मेरे प्यारे देशवासियों, इस साल मैंने लाल किले से बिना Political background वाले एक लाख युवाओं को Political system से जोड़ने का आहवाहन किया है। मेरी इस बात पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं। बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है। इस विषय पर मुझे देश-भर के युवाओं के पत्र भी मिले हैं। social media पर भी जबरदस्त response मिल रहा है। लोगों ने मुझे कई तरह के सुझाव भी भेजे हैं। कुछ युवाओं ने पत्र में लिखा है कि ये उनके लिए वाकई अकल्पनीय है। दादा या माता-पिता की कोई राजनीतिक विरासत नहीं होने की वजह से, वो, राजनीति में चाहकर भी नहीं आ पाते थे। कुछ युवाओं ने लिखा कि उनके पास जमीनी स्तर पर काम करने का अच्छा अनुभव है, इसलिए, वे लोगों की समस्याओं को सुलझाने में मददगार बन सकते हैं। कुछ युवाओं ने ये भी लिखा कि परिवारवादी राजनीति, नई प्रतिभाओं का दमन कर देती है। कुछ युवाओं ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। मैं इस विषय पर सुझाव भेजने के लिए हर किसी का धन्यवाद करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि अब हमारे सामूहिक प्रयास से ऐसे युवा, जिनका कोई Political background नहीं है, वे भी राजनीति में आगे आ सकेंगे, उनका अनुभव, और उनका जोश, देश के काम आएगा। साथियों, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी। उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी spirit की जरूरत है। मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूँगा इस अभियान से जरूर जुड़ें। आपका ये कदम अपने और देश के भविष्य को बदलने वाला होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘हर घर तिरंगा और पूरा देश तिरंगा’ इस बार ये अभियान अपनी पूरी ऊंचाई पर रहा। देश के कोने-कोने से इस अभियान से जुड़ी अद्भुत तस्वीरें सामने आई हैं। हमने घरों पर तिरंगा लहराते देखा – School, College, University में तिरंगा देखा। लोगों ने अपनी दुकानों, दफ्तरों में तिरंगा लगाया, लोगों ने अपने Desktop, Mobile और गाड़ियों में भी तिरंगा लगाया। जब लोग एक साथ जुड़कर अपनी भावना प्रकट करते हैं, तो इसी तरह हर अभियान को चार चाँद लग जाते हैं। अभी आप अपने TV Screen पर जो तस्वीरें देख रहे हैं, ये जम्मू-कश्मीर के रियासी की हैं। यहाँ 750 मीटर लंबे झंडे के साथ तिरंगा रैली निकाली गई और ये रैली दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज पर निकाली गई। जिसने भी इन तस्वीरों को देखा, उसका मन खुशी से झूम उठा। श्रीनगर के डल लेक में भी तिरंगा यात्रा की मनमोहक तस्वीरें हम सबने देखी। अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट कामेंग जिले में भी 600 फीट लंबे तिरंगे के साथ यात्रा निकाली गई। देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह, हर उम्र के लोग, ऐसी तिरंगा यात्राओं में शामिल हुए। स्वतंत्रता दिवस अब एक सामाजिक पर्व भी बनता जा रहा है, ये, आपने भी अनुभव किया होगा। लोग अपने घरों को तिरंगा माला से सजाते हैं। ‘स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ी महिलाएं लाखों झंडे तैयार करती हैं। E-Commerce platform पर तिरंगे में रंगे सामानों की बिक्री बढ़ जाती है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के हर कोने, जल-थल-नभ – हर जगह हमारे झंडे के तीन रंग दिखाई दिए। हर घर तिरंगा website पर पाँच करोड़ से ज्यादा Selfie भी पोस्ट की गई। इस अभियान ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया है और यही तो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, मेरे प्यारे देशवासियों, इंसानों और जानवरों के प्यार पर आपने कितनी सारी फिल्में देखी होंगी ! लेकिन एक Real story इन दिनों, असम में बन रही है। असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गाँव बारेकुरी में, मोरान समुदाय के लोग रहते हैं और इसी गाँव में रहते हैं ‘हूलॉक गिबन’, जिन्हें यहाँ ‘होलो बंदर’ कहा जाता है। हूलॉक गिबन्स ने इस गाँव में ही अपना बसेरा बना लिया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा – इस गाँव के लोगों का हूलॉक गिबन के साथ बहुत गहरा संबंध है। गाँव के लोग आज भी अपने पारंपरिक मूल्यों का पालन करते हैं। इसलिए उन्होंने वो सारे काम किए, जिससे गिबन्स के साथ उनके रिश्ते और मजबूत हों। उन्हें जब यह एहसास हुआ कि गिबन्स को केले बहुत पसंद हैं , तो उन्होंने केले की खेती भी शुरू कर दी। इसके अलावा उन्होंने तय किया कि गिबन्स के जन्म और मृत्यु से जुड़े रीति-रिवाजों को वैसे ही पूरा करेंगे, जैसा वे अपने लोगों के लिए करते हैं। उन्होंने गिबन्स को नाम भी दिए हैं। हाल ही में गिबन्स को पास से गुजर रहे बिजली के तारों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में इस गाँव के लोगों ने सरकार के सामने इस मामले को रखा और जल्द ही इसका समाधान भी निकाल लिया गया। मुझे बताया गया है कि अब ये गिबन्स तस्वीरों के लिए पोज भी देते हैं।
साथियों, पशुओं के प्रति प्रेम में हमारे अरुणाचल प्रदेश के युवा साथी भी किसी से पीछे नहीं हैं। अरुणाचल में हमारे कुछ युवा-साथियों ने 3-D printing technology का उपयोग करना शुरू किया है – जानते हैं क्यों ? क्योंकि, वो, वन्य जीवों को सींगों और दांतों के लिए शिकार होने से बचाना चाहते हैं। नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में ये टीम जानवरों के अलग-अलग हिस्सों की 3-D printing करती है। जानवरों के सींग हों, दांत हों, ये सब, 3-D printing से तैयार होते हैं। इससे फिर ड्रेस और टोपी जैसी चीजें बनाई जाती हैं। ये गजब का Alternative है जिसमें Bio-degradable material का उपयोग होता है। ऐसे अद्भुत प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए कम है। मैं तो कहूँगा, अधिक से अधिक Start-ups इस क्षेत्र में सामने आएं ताकि हमारे पशुओं की रक्षा हो सके और परंपरा भी चलती रहे।
मेरे प्यारे देशवासियों, मध्य-प्रदेश के झाबुआ में, कुछ ऐसा शानदार हो रहा है, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए। वहाँ पर हमारे सफाई-कर्मी भाई-बहनों ने कमाल कर दिया है। इन भाई-बहनों ने हमें ‘Waste to Wealth’ का संदेश सच्चाई में बदलकर दिखाया है। इस टीम ने झाबुआ के एक पार्क में कचरे से अद्भुत Art Works तैयार किया है। अपने इस काम के लिए उन्होंने आसपास के क्षेत्रों से plastic waste, इस्तेमाल की हुई bottles, tyres और pipes इकट्ठा किए। इन Art Work में हेलीकॉप्टर, कार और तोपें भी शामिल हैं। खूबसूरत हैंगिंग flower pots भी बनाए गए हैं। यहाँ इस्तेमाल किए गए टायरों का उपयोग आरामदायक bench बनाने के लिए किया गया है। सफाई कामगारों की इस टीम ने Reduce, Reuse और Recycle का मंत्र अपनाया है। उनके प्रयासों से पार्क बहुत ही सुंदर दिखने लगा है। इसे देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के जिलों में रहने वाले भी यहाँ पहुँच रहे हैं।
साथियों, मुझे खुशी है कि आज हमारे देश में कई सारी Start-Up टीम भी पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयासों से जुड़ रही है। e -Conscious नाम की एक टीम है, जो, plastic waste का उपयोग eco-friendly products बनाने में कर रही है। इसका idea उन्हें हमारे पर्यटन स्थलों, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में फैले कचरे को देखकर के आया। ऐसे ही लोगों की एक और टीम ने Ecokaari नाम से start-up शुरू किया है। ये plastic waste से अलग-अलग खूबसूरत चीजें बनाते हैं। साथियों, Toy Recycling भी ऐसा ही एक और क्षेत्र है, जिसमें हम मिलकर काम कर सकते हैं। आप भी जानते हैं कि कई बच्चे कितनी जल्दी खिलौनों से bore हो जाते हैं, वहीं, ऐसे बच्चे भी हैं, जो उन्हीं खिलौनों का सपना सँजोए होते हैं। ऐसे खिलौने जिससे अब आपके बच्चे नहीं खेलते, उन्हें आप ऐसी जगहों पर दे सकते हैं, जहाँ, उनका उपयोग होता रहे। ये भी पर्यावरण की रक्षा का एक अच्छा रास्ता है। हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तभी पर्यावरण भी मजबूत होगा और देश भी आगे बढ़ेगा।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में रक्षा बंधन का जिक्र करते हुए कहा कि, उसी दिन पूरी दुनिया में ‘विश्व संस्कृत दिवस’ भी मनाया गया। आज भी देश-विदेश में संस्कृत के प्रति लोगों का विशेष लगाव दिखता है। दुनिया के कई देशों में संस्कृत भाषा को लेकर तरह-तरह की research और प्रयोग हो रहे हैं। इस दौरान उन्होंने एक ऑडियो क्लीप सुनाई और बताया कि, इस audio का संबंध यूरोप के एक देश लिथुएनिया से है। वहाँ एक प्रोफेसर Vytis Vidūnas ने एक अनूठा प्रयास किया है और इसे नाम दिया है – ‘संस्कृत On the Rivers’. कुछ लोगों का एक group वहां नेरिस River के किनारे जमा हुआ और वहां उन्होंने वेदों और गीता का पाठ किया। यहाँ ऐसे प्रयास पिछले कुछ वर्षों से निरंतर जारी है| आप भी संस्कृत को आगे बढ़ाने वाले ऐसे प्रयासों को सामने लाते रहिए। मेरे प्यारे देशवासियोंं, हम सबके जीवन में fitness का बहुत महत्व है। फिट रहने के लिए हमें अपने खानपान, रहन-सहन सब पर ध्यान देना होता है। लोगों को fitness के प्रति जागरूक करने के लिए ही “फिट इंडिया अभियान” की शुरुआत की गई। स्वस्थ रहने के लिए आज हर आयु, हर वर्ग के लोग, योग को अपना रहे हैं। लोग अपनी थाली में अब superfood millets यानि श्रीअन्न को जगह देने लगे हैं। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य यही है कि हर परिवार स्वस्थ हो।
साथियों, हमारा परिवार, हमारा समाज, और हमारा देश, और इन सबका भविष्य, हमारे बच्चों की सेहत पर निर्भर है और बच्चों की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि उन्हें सही पोषण मिलता रहे। बच्चों का nutrition देश की प्राथमिकता है। वैसे तो उनके पोषण पर पूरे साल हमारा ध्यान रहता है, लेकिन एक महीना, देश, इस पर विशेष focus करता है। इसके लिए हर साल 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाया जाता है। पोषण को लेकर लोगों को जागरूक बनाने के लिए पोषण मेला, एनीमिया (anemia) शिविर, नवजात शिशुओं के घर की visit, seminar, webinar जैसे कई तरीके अपनाए जाते हैं। कितनी ही जगहों पर आंगनवाड़ी के तहत mother and child committee की स्थापना भी की गई है। ये कमेटी कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की माताओं को track करती है, उन्हें लगातार monitor किया जाता है, और उनके पोषण की व्यवस्था की जाती है। पिछले वर्ष पोषण अभियान को नई शिक्षा नीति से भी जोड़ा गया है। ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ इस अभियान के द्वारा बच्चों के संतुलित विकास पर focus किया गया है। आपको भी अपने क्षेत्र में पोषण के प्रति जागरूकता वाले अभियान से जरूर जुड़ना चाहिए। आपके एक छोटे से प्रयास से, कुपोषण के खिलाफ, इस लड़ाई में बहुत मदद मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियों, इस बार की ‘मन की बात’ में, इतना ही। ‘मन की बात’ में आपसे बात करके मुझे हमेशा बहुत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है जैसे मैं अपने परिवारजनों के साथ बैठ करके हल्के-फुल्के वातावरण में अपने मन की बातें साझा कर रहा हूं। आपके मन से जुड़ रहा हूं। आपके feedback, आपके सुझाव, मेरे लिए बहुत ही मूल्यवान हैं। कुछ ही दिनों में अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं, आप सभी को उनकी ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ देता हूँ। जन्माष्टमी का त्योहार भी है। अगले महीने शुरुआत में ही गणेश चतुर्थी का भी पर्व है। ओणम का त्योहार भी करीब है। मिलाद-उन-नबी की भी बधाई देता हूं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि, साथियो, इस महीने 29 तारीख को ‘तेलुगु भाषा दिवस’ भी है। यह सचमुच बहुत ही अद्भुत भाषा है। मैं दुनिया-भर के सभी तेलुगु भाषियों को ‘तेलुगु भाषा दिवस’ की शुभकामनाएं देता हूँ।
Mann Ki Baat 113th Episode: साथियों, मैं आप सभी से बारिश के इस मौसम में सावधानी बरतने के साथ ही ‘Catch the Rain Movement’ का हिस्सा बनने का भी आग्रह दोहराऊँगा। मैं आप सभी को ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की याद दिलाना चाहूँगा। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और दूसरों से भी इसका आग्रह करें। आने वाले दिनों में पेरिस में Paralympics शुरू हो रहे हैं। हमारे दिव्यांग भाई-बहन वहां पहुचे हैं। 140 करोड़ भारतीय अपने athlete और खिलाड़ियों को cheer कर रहे हैं। आप भी #cheer4bharat के साथ अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दीजिए। अगले महीने हम एक बार फिर जुड़ेंगे और बहुत सारे विषयों पर चर्चा करेंगे। तब तक के लिए – मुझे विदा दीजिए। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।