भारत को एकजुट रखने की कोशिश है मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी विरासत: फारूख अब्दुल्ला

भारत को एकजुट रखने की कोशिश है मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी विरासत: फारूख अब्दुल्ला

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  • Publish Date - December 27, 2024 / 02:52 PM IST,
    Updated On - December 27, 2024 / 02:52 PM IST

श्रीनगर, 27 दिसंबर (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शुक्रवार को दुख जताते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विरासत यह रही कि उन्होंने भारत को एकजुट रखने और देशभर में प्यार फैलाने की कोशिश की।

अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘सिंह एक बेहतरीन अर्थशास्त्री थे। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने भारत को एकजुट रखने की कोशिश की। उन्होंने अर्थव्यवस्था को खोला। आज, जब हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो यह सिंह के ही कारण है।’’

अब्दुल्ला, सिंह के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे हैं।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की दूसरी सरकार में अक्षय ऊर्जा मंत्री रहे अब्दुल्ला ने कहा कि सिंह हमारे पड़ोसियों के साथ दोस्ताना संबंध चाहते थे और ‘वह समय आएगा’।

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था राजीव गांधी और नरसिंह राव के शासन के दौरान खुली थी और आज हम खुशी से देख सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था प्रगति कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल का सदस्य था और भारत में पहली बार किसी ने अक्षय ऊर्जा को मान्यता दी थी। अपने परिवार और अपनी पार्टी की ओर से, मैं सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और आशा करता हूं कि हम और अन्य लोग उनके द्वारा अधूरे छोड़े गए काम को पूरा करेंगे और भाईचारा बनाए रखते हुए इस देश को आगे ले जाएंगे।’’

जम्मू कश्मीर में शांति और समृद्धि के लिए सिंह के प्रयासों को याद करते हुए नेकां अध्यक्ष ने कहा कि उनकी सरकार ने कश्मीरी पंडितों को वापस लाने और जम्मू में उनकी कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश का सबसे बड़ा कदम उठाया।

उन्होंने कहा, ‘‘3,000 से अधिक कश्मीरी पंडित यहां लौटे और उनके बच्चों को नौकरी दी गई। उनके लिए जगती जैसी कॉलोनियां स्थापित की गईं, ताकि वे अपने घरों में लौटने तक आराम से रह सकें।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि सिंह जैसे बहुत कम ही लोग जन्म लेते हैं और जब वे बहुत काम करते हैं तो उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उनके परिवार, उनकी पत्नी और बच्चों को इस दर्द को सहन करने की शक्ति दे। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि इस देश के लिए दिया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि वर्तमान सरकार और भविष्य की सरकारों दोनों को सिंह के उदाहरण से सीखना चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल होगा, अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा नेता ढूंढना न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि पूरे देश के लिए बहुत मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह के जैसा कोई नहीं है। कोई दूसरा गांधी, कोई नेहरू या शेर-ए-कश्मीर (शेख मोहम्मद अब्दुल्ला) नहीं हुआ।’’

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र शफीक

शफीक