Manipur Plane Crash: 16 अगस्त 1991 की सुबह करीब 11 बजे इंडियन एयरलाइन्स का एक विमान 257 उड़ान की तैयारी कर रहा था। यह एक बोइंग-737 मॉडल का प्लेन था। इसे मणिपुर (Manipur) के इम्फाल एयरपोर्ट जाना था। इसके बाद इसे नागालैंड (Nagaland) के दीमापुर एयरपोर्ट पर लैंड करना था। लेकिन एक गलती से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। ये हादसा इंडियन एयरलाइन्स में हुआ था। जब बोइंग 737-200 इम्फाल हवाई अड्डे से 30 किलोमीटर दूर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में विमान पर सवार सभी 69 लोगों की मौत हो गई थी।
उस समय रोजाना की तरह एयरपोर्ट पर चेंकिंग ज्यादा हो रही थी, क्योंकि पिछले ही दिन कुछ लोगों ने इस प्लेन का अपहरण करने की धमकी दी थी। चेकिंग के बाद विमान में 63 यात्री और क्रू मेंबर्स बैठे थे। यात्रियों में एक छोटा बच्चा मणिपुर के तत्कालीन डिप्टी चीफ मिनिस्टर Irengbam Tompok और शिक्षा मंत्री Keisham Bira भी थे। 63 में से 32 पैसेंजर्स को मणिपुर में उतरना था। जबकि, 31 यात्रियों को दीमापुर उतरना था।
मणिपुर ATC कर रहा था गाइड
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस विमान को 37 वर्षीय कैप्टन शेखर हेल्दर और 26 साल के कैप्टन रॉय चौधरी उड़ाने वाले थे। दोनों कोलकाता के ही रहने वाले थे। उड़ान भरने के बाद उन्हे ATC से कमांड मिली की आप 29 हजार फीट की ऊंचाई पर चले जाइए। फिर मणिपुर ATC आपको गाइड करेगा। करीब आधे घंटे बाद प्लेन मणिपुर के इलाके में दाखिल हो गया। बता दें कि यह एरिया पहाड़ों से घिरा हुआ है। कभी भी अचानक से यहां धूप निकल आती है तो कभी भी अचानक से बारिश होने लगती है। इसलिए पायलट लगातार ATC से कॉन्टेक्ट करते रहे। ATC ने कमांड दी कि आप 10, हजार फीट की ऊंचाई तक विमान को ले आइए। ATC ने पायलट से प्लेन की पॉजिशन भी पूछी।
इंडियन एयरलाइन्स में नहीं था रिसीवर
कैप्टन ने बताया कि वो VOR (VHF Omnidirectional Range) के ऊपर फ्लाई कर रहे हैं। बता दें, VOR की मदद से पायलट को सिग्नल मिलते हैं और डायरेक्शन के लिए गाइडेंस मिलती रहती है। लेकिन, VOR को पायलट तक सिग्नल भेजने के लिए प्लेन में रिसीवर लगा होता है। यहां इंडियन एयरलाइन्स में वो रिसीवर नहीं था। इससे ATC प्लेन की करंट लोकेशन पता नहीं लग पा रही थी। इसलिए वो पायलट से बार-बार उनकी लोकेशन पूछ रहा था। लेकिन, कैप्टन का हर बार यही जवाब था कि वो VOR के ऊपर उड़ रहे हैं। ATC ने तब कहा कि आप हाइट कम करके 5000 फीट पर आ जाइए। फिर हमसे कॉन्टेक्ट कीजिए। यह कहते ही ATC इंडियन एयरलाइन्स के दूसरे विमान को गाइड करने लगा।
ATC को लगा अनहोनी का अंदेशा
इंडियन एयरलाइन्स फ्लाइट 257 के पायलट ने दोबारा ATC से कॉन्टेक्ट किया और बताया कि वो ईस्ट की तरफ जा रहे हैं। वहां से विमान के एल्टिट्यूड को कम करके वापस यहां लौटेंगे। ATC ने तब वार्निंग दी कि उस तरफ बारिश हो रही है। इसलिए थोड़ा ध्यान देना। फिर थोड़ी देर बाद ATC ने फ्लाइट 257 से कॉन्टेक्ट किया तो कोई जवाब नहीं आया। ATC को अनहोनी का अंदेशा होने लगा। जब उन्हें फ्लाइट 257 से कोई जवाब नहीं मिला तो ATC कन्फर्म हो गया था कि फ्लाइट 257 के साथ कुछ अनहोनी हो चुकी है। ATC ने कई खोजी दलों को फ्लाइट 257 की तलाश करने के लिए भेजा। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि थैंगचिंग हिल में वह विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
69 लोगों की हुई प्लेन हादसे में मौत
रेस्क्यू टीम जब वहां पहुंची तो काफी रात हो चुकी थी। प्लेन में सवार सभी 69 लोगों की मौत हो चुकी थी। लाशों को लाने में चार दिन का समय लग गया था। हादसे के बाद इंडियन एयरलाइन्स ने घोषणा की कि सभी मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, प्लेन में जो छोटा बच्चा मारा गया है उसके परिवार को ढाई लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
जांच में सामने आई ये वजह
हादसे के अगले दिन से इन्वेस्टिगेशन की टीम अपनी जांच में जुट गई थी। हादसे के चश्मदीद लोगों के अलग-अलग बयान भी सामने आए थे। किसी ने कहा कि प्लेन में पहले ही आग लग चुकी थी, उसके बाद वो क्रैश हुआ। जबकि, कुछ लोगों ने कहा कि प्लेन पहले क्रैश हुआ, फिर उसके बाद उसमें आग लगी। शरुआती इन्वेस्टिगेशन में इस बात को भी माना गया कि हो सकता है किसी ने प्लेन पर अटैक करवाया हो। क्योंकि एक दिन पहले ही प्लेन को हाइजैक करने की धमकी दी गई थी। लेकिन, मलबे की जांच से यह साफ नहीं हुआ कि प्लेन में कोई बम ब्लास्ट हुआ है।
पायलट्स की गलती से हुआ हादसा!
इन्वेस्टिगेशन टीम ने ब्लैकबॉक्स बरामद किया. लेकिन वो भी डैमेज हो चुका था। बड़ी मुश्किल से कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से कुछ डाटा मिल सका। इससे सिर्फ 5 पैरामीटर्स का ही पता लग पाया। FDR के अनुसार, प्लेन ने जब उड़ान भरी तभी से उसमें कुछ दिक्कत आ गई थी तब पायलट्स ने उसे नजरअंदाज किया था। दूसरी गलती पायलट्स ने ये की कि उन्होंने डायरेक्शन्स को इग्नोर करते हुए दूसरे रास्तों यानि शॉर्टकट से प्लेन को उड़ाया। शॉर्टकट के चक्कर में वे लोग जल्दी ही मणिपुर पहुंच गए और उन्होंने प्लेन को नीचे लाना शुरू कर दिया। लेकिन, इस बात की जानकारी उन्होंने ATC को नहीं दी। वे अपनी गलती को छुपाने के लिए ATC को गलत जानकारियां देने लगे और अपनी असली लोकेशन उन्होंने नहीं बताई।