झारखंड में ‘आदिवासियों की दुर्दशा’ के कारण मंडल मुर्मू भाजपा में शामिल हुए: चंपई सोरेन

झारखंड में ‘आदिवासियों की दुर्दशा’ के कारण मंडल मुर्मू भाजपा में शामिल हुए: चंपई सोरेन

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  • Publish Date - November 7, 2024 / 06:15 PM IST,
    Updated On - November 7, 2024 / 06:15 PM IST

जमशेदपुर, सात नवंबर (भाषा) झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू संथाल परगना में आदिवासियों की दुर्दशा के कारण भाजपा में शामिल हुए हैं।

सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार सोरेन ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए स्थानीय आदिवासियों के लिए समस्याएं पैदा कर रहे हैं और राज्य सरकार कार्रवाई करने में विफल रही है।

मुर्मू आगामी चुनावों में बरहेट विधानसभा क्षेत्र से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नामांकन के प्रस्तावकों में से एक थे।

सोरेन ने मुर्मू के कदम का जिक्र करते हुए पूछा, ‘‘क्या आप जानना चाहते हैं कि आदिवासी समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले इस युवक ने यह निर्णय क्यों लिया?’’

सोरेन ने कहा, ‘‘इसे समझने के लिए आपको संथाल परगना की वीर भूमि भोगनाडीह की परिस्थिति को देखना होगा। वहां जाते वक्त रास्ते में तथा वीरों के उस गांव में भी आपको सड़क किनारे कई नए पक्के मकान मिलेंगे, जिस पर एक राजनैतिक दल के झंडे लगे दिखेंगे।’’

उन्होंने दावा किया कि इनमें से ज्यादातर मकान बांग्लादेशी घुसपैठियों के हैं और वे आदिवासी भूमि पर कब्जा करने, समुदाय के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने और आदिवासी महिलाओं के प्रति अनादर दिखाने के लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों से अपनी भूमि, बेटियों और आजीविका की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन अब यह इन घुसपैठियों के नियंत्रण में है।’’

सोरेन ने कहा कि जिकरहट्टी, मालपहाड़िया, तलवाडांगा और किताझोर जैसे कई गांव हैं, जहां आदिवासी मुश्किल से ही मिलते हैं। उन्होंने कहा कि उनके घर, जमीन और खेत घुसपैठियों ने अपने कब्जे में ले लिए हैं।

उन्होंने झारखंड सरकार की भी आलोचना की और उस पर इस मुद्दे के अस्तित्व को नकारने के लिए उच्च न्यायालय में झूठे हलफनामे दायर करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने जब तथ्यान्वेषी समिति के गठन का आदेश दिया तो राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार आदिवासियों की चिंताओं को दूर करने की तुलना में घुसपैठियों को बचाने के बारे में अधिक चिंतित है।

सोरेन ने कांग्रेस पर आदिवासी और झारखंड विरोधी होने तथा झारखंड आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने लोगों को 1961 की जनगणना से “आदिवासी धर्म संहिता” को हटाने में कांग्रेस की भूमिका की याद दिलाई।

झारखंड में शासन की मौजूदा स्थिति पर दुख जताते हुए उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, ‘‘तो हम उनके सहयोगियों से क्या उम्मीद कर सकते हैं?’’

सोरेन ने दावा किया कि मुर्मू को धमकियां मिल रही हैं और भाजपा में शामिल होने के बाद से उनके खिलाफ कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि झारखंड से ‘आदिवासी विरोधी’ सरकार की विदाई की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि बस दो हफ्ते और बचे हैं।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश