मनुष्य पृथ्वी को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता: उपराष्ट्रपति धनखड़

मनुष्य पृथ्वी को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता: उपराष्ट्रपति धनखड़

मनुष्य पृथ्वी को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता: उपराष्ट्रपति धनखड़
Modified Date: December 24, 2022 / 07:21 pm IST
Published Date: December 24, 2022 7:21 pm IST

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण की व्यापक चुनौती से निपटने के लिए सभी देशों से सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।

उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘मानव इस ग्रह (पृथ्वी) को अपना विशेषाधिकार नहीं समझ सकता।’’

धनखड़ यहां भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 2021 बैच के परिवीक्षा अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे।

 ⁠

वन सेवा के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपका हमारे आदिवासी समुदायों के साथ संपर्क रहेगा और आप उनकी प्राचीन संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करेंगे। आपके पास उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने का एक ईश्वरीय अवसर होगा।’

उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, धनखड़ ने वनों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि वे भारतीय लोकाचार, चेतना और संस्कृति के अभिन्न एवं प्रमुख अंग रहे हैं।

यह उल्लेख करते हुए कि भारत वन संपदा के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में से एक है, उन्होंने अधिकारियों से प्रकृति की सेवा करने का आग्रह किया। उन्होंने वन अधिकारियों को ‘प्रकृति का दूत’ करार दिया।

पर्यावरणीय क्षरण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह चिंताजनक है कि मनुष्य के लालच के कारण गांव की सार्वजनिक भूमि एवं प्राकृतिक जल भंडारण जैसी सुविधाएं कम होती जा रही हैं।

उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए व्यापक पहल करने का आह्वान किया।

भाषा नेत्रपाल सुभाष

सुभाष


लेखक के बारे में