दीघा, 11 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कोलकाता के इस्कॉन प्रमुख को तटीय शहर दीघा में जगन्नाथ मंदिर के न्यासी बोर्ड में नामित किया। यह परियोजना वर्तमान समय की बनर्जी की सबसे महत्वाकांक्षी धार्मिक परियोजनाओं में से एक है।
कुछ लोग इस कदम को बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थानों और भिक्षुओं पर कथित हमलों के मद्देनजर बनर्जी का ‘परोक्ष संदेश’ मान रहे हैं।
पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में बंगाल की खाड़ी के तट पर निर्मित जगन्नाथ धाम परियोजना के लिए 13-सदस्यीय न्यासी बोर्ड की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास को इसके सदस्यों में से एक नामित किया।
बनर्जी ने बुधवार को ‘चैतन्य जगन्नाथ धाम’ परियोजना के निर्माण की समीक्षा की, जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर और कई अन्य मंदिरों की तरह भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। उन्होंने अगले साल 30 अप्रैल को ‘अक्षय तृतीया’ के शुभ अवसर पर इसके उद्घाटन की घोषणा की।
दास इस्कॉन, कोलकाता के प्रवक्ता भी हैं। दास निर्माणाधीन परियोजना की समीक्षा के लिए बनर्जी के दौरे पर उनके साथ थे। साथ ही इस दौरान उनके साथ स्थानीय विधायक एवं सुंदरबन मामलों के मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा भी मौजूद थे।
जब बनर्जी पत्रकारों के समक्ष घोषणाएं कर रही थीं तब दास मुख्यमंत्री के साथ खड़े देखे गए।
बनर्जी ने कहा कि परियोजना के प्रबंधन बोर्ड का नेतृत्व राज्य के मुख्य सचिव करेंगे और इसमें जिला पुलिस और प्रशासन के शीर्ष अधिकारी, पुजारी और हिंदू मठ व्यवस्था के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस बोर्ड की सदस्य नहीं रहूंगी’ और उन्होंने खुद को ‘स्वयंसेवक’ बताया। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक का एक अधिकारी परियोजना के संचालन की देखरेख और उस पर्यटन को बढ़ावा देने वाला प्रभारी होगा, जो इस परियोजना से आकर्षित होने की उम्मीद है।
उन्होंने इस अवसर का उपयोग बांग्लादेश में सताये गए हिंदुओं को सहायता देने के लिए केंद्र के समक्ष अपनी अपील दोहराने के वास्ते किया और कहा कि केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों की रक्षा करनी चाहिए और हिंसा प्रभावित पड़ोस से लौटने के इच्छुक लोगों को वापस लाना चाहिए।
बनर्जी ने कहा कि लगभग 22 एकड़ के भूखंड पर निर्मित जगन्नाथ धाम परियोजना पर राज्य के खजाने से लगभग 250 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं तथा मंदिर को पूरी तरह से चालू करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंदिर का निर्माण अगले तीन महीनों में पूरा हो जाएगा। उद्घाटन 30 अप्रैल को होगा और इसके लिए प्रक्रिया 48 घंटे पहले 28 अप्रैल को शुरू होगी।’’
बनर्जी के साथ मुख्य सचिव मनोज पंत और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार भी साथ थे। बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं हिडको (राज्य सरकार के तहत एक शहरी नियोजन निकाय) के इंजीनियरों को उनके द्वारा किए गए शानदार काम के लिए बधाई देना चाहती हूं। यह मंदिर दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करेगा। यह हजारों सालों तक बरकरार रहेगा।’’
बनर्जी ने बताया कि मंदिर में अलग-अलग अतिथि कक्ष, स्टोर रूम और पूजा सामग्री बेचने वाली दुकानें होंगी, जिनका प्रबंधन इलाके की महिलाएं करेंगी।
हालांकि, राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करने में ‘संविधान की अवहेलना’ करने के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी की आलोचना की।
उन्होंने यह भी दावा किया कि परियोजना के लिए कार्य आदेश राज्य द्वारा संचालित हिडको द्वारा दीघा में ‘जगन्नाथ धाम संस्कृति केंद्र’ बनाने के लिए एक निजी कंपनी को जारी किया गया था और दस्तावेजों में मंदिर के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
भाजपा विधायक अधिकारी ने कहा, ‘संविधान के अनुसार, सरकार किसी विशेष धर्म के संस्थान के निर्माण के लिए सरकारी खजाने से धन का उपयोग नहीं कर सकती है।’
उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का हिंदू संगठनों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद ही हिंदू समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए उन्हें यह विचार सूझा।
भाजपा नेता अधिकारी ने कहा, ‘भारत के चार धामों में से एक (पुरी मंदिर) की नकल नहीं की जा सकती, साथ ही अन्य तीन धामों की भी नकल नहीं की जा सकती।’
शुभेंदु अधिकारी ने दास पर बनर्जी की उन घोषणाओं पर ‘चुप रहने और विरोध न करने’ लिए निशाना साधा जो ‘‘हिंदू आस्था को कमजोर करती हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री आवास के पास कोलकाता के कालीघाट में काली मंदिर का जीर्णोद्धार एक निजी कंपनी के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कोष से किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को हर चीज का श्रेय नहीं लेना चाहिए।’’
वर्ष 2019 में बनर्जी द्वारा परिकल्पित और घोषित इस परियोजना का काम कोविड के बाद 2022 के चरण में शुरू हुआ।
भगवान जगन्नाथ के पुरी मंदिर के साथ तुलना करने से इनकार करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘वह मंदिर राजाओं द्वारा बनाया गया था। यह सरकार द्वारा बनाया गया है। इसमें पुजारियों और आगंतुकों के लिए पर्याप्त सुविधाएं होंगी। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को स्थल पर व्यावसायिक गतिविधियां करने की अनुमति दी जाएगी।’’
निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के तीन दिवसीय दौरे पर आईं बनर्जी ने कहा कि अगले साल ‘रथयात्रा’ मंदिर से शुरू होगी और वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगी।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने यह भी उल्लेख किया कि वह अपने निजी खाते से ‘सोने की झाड़ू’ उपहार में देंगी। उन्होंने कहा, ‘‘सोने की झाड़ू इस्कॉन द्वारा बनाई जाएगी। मैं इसे अपने निजी खाते से उपहार में दूंगी।’’
भाषा अमित सुरेश
सुरेश