नई दिल्ली| जबसे बीजेपी ने ममता के गढ़ में सेंध लगाई है, जबसे दीदी के तेवर बीजेपी के प्रति नरम होने का नाम नहीं ले रहे। ताजा मामला नीति आयोग की बैठक को लेकर, ममता ने एकबार फिर बीजेपी सरकार के खिलाफ शख्त तेवर दिखाते हुए नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है।
बता दें कि 15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाली नीति आयोग की बैठक सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री भाग लेने वाले हैं, लेकिन दीदी ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि ‘नीति आयोग’ के पास कोई आर्थिक अधिकार नहीं हैं, साथ ही आयोग में राज्यों की नीतियों का समर्थन करने की भी ताकत नहीं है। ऐसे में मेरा बैठक में शामिल होना बेकार है।
पत्र में ममता ने आगे लिखा है 15 अगस्त 2014 को आपने योजना आयोग की जगह नीति आयोग के गठन का ऐलान किया था। पश्चिम बंगाल की सीएम ने इसके आगे कहा कि उन्हें आश्चर्य था कि मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बिना सलाह लिए ऐसा कैसे कर दिया? ममता बनर्जी ने कहा कि आपको (पीएम मोदी) पता होगा कि योजना आयोग एक राष्ट्रीय योजना समिति थी, जिसे पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने 1938 में बनाया था। 1950 में योजना आयोग का जब गठन किया गया, तब इसके पास वित्तीय शक्तियां थीं और इसके जरिए मुख्यमंत्रियों के साथ विकास संबंधी योजनाओं पर बात-विचार किया जाता था।