नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अलग-अलग आपराधिक मामलों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए तथा न्यायिक हिरासत में बंद महाराष्ट्र और दिल्ली के मंत्री, क्रमश: नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन, को बर्खास्त करने के लिए दोनों राज्य सरकारों को निर्देश देने संबंधी याचिका भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमण के समक्ष उल्लेख किए जाने के बाद ही सूचीबद्ध की जाएगी।
न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध किया गया था।
मामले में याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह घोषित करने का निर्देश देने की भी मांग की है कि एक मंत्री को लोक सेवकों की तरह दो दिनों की न्यायिक हिरासत के बाद पद पर बने रहने से अस्थायी रूप से रोक दिया जाए, क्योंकि मंत्री भी न केवल एक लोक सेवक, बल्कि एक विधायक भी होते हैं।
उपाध्याय ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का ‘‘गंभीर उल्लंघन’’ है।
पीठ ने कहा, ‘‘क्या आपने रजिस्ट्रार के सामने इसका उल्लेख किया है? हर दिन हम कह रहे हैं कि कृपया रजिस्ट्रार के सामने उल्लेख करें और फिर भी अगर उसे (याचिका को) सूचीबद्ध न किए जाए, उसके बाद हमारे पास आएं।’’
उपाध्याय ने पीठ को बताया कि महाराष्ट्र कैबिनेट का एक मंत्री और दिल्ली कैबिनेट का एक मंत्री न्यायिक हिरासत में है।
पीठ ने कहा, ‘‘आपने याचिका दायर कर दी है। संभवत: इसे अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।’’
यह याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर की गई।
याचिका में दिल्ली, महाराष्ट्र की सरकारों के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालय, निर्वाचन आयोग और विधि आयोग को पक्ष बनाया गया है।
भाषा निहारिका सुरेश
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