महाराष्ट्र सरकार मराठवाड़ा का विकास करने के वादों को पूरा करने में नाकाम रही : दानवे

महाराष्ट्र सरकार मराठवाड़ा का विकास करने के वादों को पूरा करने में नाकाम रही : दानवे

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  • Publish Date - September 16, 2024 / 03:21 PM IST,
    Updated On - September 16, 2024 / 03:21 PM IST

छत्रपति संभाजीनगर, 16 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने सोमवार को दावा किया कि राज्य सरकार पिछले साल हैदराबाद मुक्ति दिवस पर मराठवाड़ा के विकास के लिए किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रही है।

छत्रपति संभाजीनगर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दानवे ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए पहले घोषित धनराशि का पांच फीसदी भी जारी नहीं किया है।

तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की ओर से शुरू की गई सैन्य कार्रवाई के बाद हैदराबाद (जो उस समय निजाम शासन के अधीन था) के भारत संघ में शामिल होने के उपलक्ष्य में 17 सितंबर को हैदराबाद मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता दानवे ने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे 17 सितंबर को यहां आकर नयी घोषणाएं करेंगे। पिछले साल राज्य सरकार ने मराठवाड़ा के लिए 37,016 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। उसने मराठवाड़ा में सूखे से बचाव के लिए पश्चिमी नदियों से पानी लाने के वास्ते 14,000 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने जल परियोजना के लिए धन की घोषणा के एक साल बाद परियोजना रिपोर्ट बनाने के वास्ते सिर्फ 60 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। काम की यही रफ्तार रही तो 20 साल में भी यह परियोजना पूरा नहीं हो पाएगी।”

उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि वह इस क्षेत्र में 12,938 करोड़ रुपये की लोक निर्माण विभाग की परियोजनाएं शुरू करेगी, लेकिन उसने केवल 304 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी है।

दानवे ने दावा किया कि राज्य सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी दगडाबाई शेल्के के स्मारक के लिए जगह तय नहीं की है, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

उन्होंने दुधारू पशु वितरण योजना पर पुनर्विचार करने के लिए भी सरकार की आलोचना की, जिसके वास्ते 3,255 करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी।

दानवे ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य सरकार ने मराठवाड़ा के विकास पर ध्यान नहीं दिया है और अपनी घोषणाओं पर अमल नहीं किया है। अगर सरकार वादे पूरे नहीं कर सकती, तो उसने ऐसी घोषणाएं क्यों की?”

भाषा पारुल संतोष

संतोष