(अरुणव सिन्हा)
प्रयागराज (उप्र), 12 जनवरी (भाषा) प्रयागराज में संगम की रेती पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा यानी महाकुंभ सोमवार को पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहले प्रमुख स्नान अनुष्ठान के साथ शुरू हो जाएगा। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर होने वाले आस्था के इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे।
महाकुंभ का यह संस्करण 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है। हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं जो इस अवसर को और भी ज्यादा शुभ बना रहे हैं। शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे।
श्रद्धालुओं का आंकड़ा अभी से इस महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता की कहानी बयान कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत से दो दिन पहले शनिवार को रिकॉर्ड 25 लाख लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई।
अधिकारियों के मुताबिक, ”यह एक भव्य महाकुंभ होगा, जिसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आधुनिकता भी दिखाई देगी क्योंकि यह एक तरह का ‘डिजी-कुंभ’ भी होगा जिसमें एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा।”
प्रयागराज इस भव्य अवसर के लिए पूरी तरह से तैयार है और यह शहर दुनिया भर से संतों, तीर्थयात्रियों, भक्तों और आम जनता के लिये भी पलकें बिछाये है। सभी का लक्ष्य आध्यात्मिक उत्साह में सराबोर होना है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा के दौरान हाल ही में कहा था कि सोमवार 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाला महाकुंभ भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा था, ”महाकुंभ भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। यह आयोजन दुनिया भर के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जुड़ने का मौका देता है।”
आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ का यह संस्करण एक भव्य, दिव्य और डिजिटल रूप से उन्नत आयोजन होगा। लगभग 10,000 एकड़ क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता के लिए एक अनुकरणीय मानक स्थापित करेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाने के लिए डिजिटल पर्यटक मानचित्र से शौचालयों की सफाई की निगरानी की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा स्मार्टफोन के साथ एकीकृत एआई-संचालित प्रणाली सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी है। महाकुंभ के दौरान आयोजन स्थल दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर में तब्दील हो जाता। इसमें एक बार में 50 लाख से एक करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं।
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार महाकुंभ मेला क्षेत्र में 55 से अधिक थाने स्थापित किये गये हैं और लगभग 45 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगायी गयी है।
उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर लगातार नजर रखने से सम्बन्धित परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। विभिन्न संप्रदायों के संतों के 13 अखाड़े इस महाकुंभ में भाग ले रहे हैं, जो सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
प्रयागराज में विभिन्न कार्यालयों की दीवारों को हिंदू धर्म, देवी-देवताओं और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित प्रमुख घटनाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने वाले चित्रों से सजाया गया है।
शहर के चौराहों को भी विभिन्न धार्मिक वस्तुओं जैसे कलश, शंख और सूर्य नमस्कार आसन की विभिन्न मुद्राओं से सजाया गया है। इसके अलावा, शहर के अधिकांश प्रमुख चौराहों को नया रूप दिया गया है।
पुलिस द्वारा विभिन्न चौराहों और तिराहों पर बैरिकेड भी लगाए गए हैं, जो पुलिस को भीड़ की आवाजाही को नियंत्रित करने में मदद करेंगे। संगम क्षेत्र या फाफामऊ में 30 से अधिक पंटून पुल भी नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार किए गए हैं।
महाकुंभ मेला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनवरी 2024 में अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आयोजित होने वाला पहला कुंभ मेला है।
महाकुंभ 2025 में अखाड़ा क्षेत्र में अखाड़ों समेत विभिन्न संगठनों के शिविर पूरी भव्यता से स्थापित हो चुके हैं। जहां शिविरों को हमेशा की तरह खूबसूरती से डिजाइन किया गया है, वहीं इस साल प्रवेश द्वार अपने अनूठे और विषयगत डिजाइनों से सुर्खियां बटोर रहे हैं।
मेला क्षेत्र में थीम वाले प्रवेश द्वार देखने में आश्चर्यजनक होने के अलावा पहचान के चिह्न के रूप में भी काम कर रहे हैं और तीर्थयात्रियों को विशिष्ट संगठनों का पता लगाने और उन तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं।
विभिन्न अखाड़ों और संगठनों ने न केवल अपने शिविरों को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है, बल्कि अपने प्रवेश द्वारों को भी विशिष्ट थीम के साथ डिजाइन किया है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ”झूंसी के पास स्थित ये द्वार विभिन्न डिजाइनों में आते हैं, जिनमें हवाई जहाज के मॉडल, शिवलिंग और मुकुट शामिल हैं, जो शिविरों की समग्र भव्यता को बढ़ाते हैं।”
बयान के मुताबिक पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले संगम के तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। रविवार को युवाओं, बुजुर्गों और बच्चों समेत लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए अपार उत्साह के साथ एकत्र हुए।
बयान के अनुसार इस दौरान श्रद्धालुओं ने इस मौके को अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ने के अवसर के रूप में लिया।
उन्होंने वीआईपी घाट और संगम पर स्नान करने के क्षणों को कैमरे में कैद करके उन्हें साझा किया। वे पल प्राचीन आस्था और आधुनिक कनेक्टिविटी के मिश्रण का प्रतीक थे।
पुलिस उप महानिरीक्षक वैभव कृष्ण और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी व्यक्तिगत रूप से व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे हैं।
भाषा अरुणव सलीम नोमान
नोमान