महाकुंभ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति: राष्ट्रपति

महाकुंभ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति: राष्ट्रपति

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  • Publish Date - January 25, 2025 / 08:06 PM IST,
    Updated On - January 25, 2025 / 08:06 PM IST

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि वर्तमान समय में सांस्कृतिक विरासत के साथ देश का जुड़ाव और गहरा हुआ है तथा प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है।

राष्ट्रपति ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है।’’

मुर्मू ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं।’’

प्रयागराज में महाकुंभ गत 13 जनवरी को आरंभ हुआ था और यह 26 फरवरी तक चलेगा।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘गणतंत्र दिवस का उत्सव, सभी देशवासियों के लिए सामूहिक उल्लास और गौरव का विषय है। यह कहा जा सकता है कि किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का समय, पलक झपकने जैसा होता है। लेकिन मेरे विचार से, भारत के पिछले 75 वर्षों के संदर्भ में, ऐसा बिलकुल नहीं कहा जा सकता है। यह वह कालखंड है जिसमें, लंबे समय से सोई हुई भारत की आत्मा फिर से जागी है और हमारा देश विश्व-समुदाय में अपना समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुआ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को, ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था, लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। औपनिवेशिक शासन में अमानवीय शोषण के कारण देश में घोर गरीबी व्याप्त हो गई।’’

भाषा हक पवनेश

पवनेश