बेंगलुरु, सात नवंबर (भाषा) मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) के भूखंड आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस जरूरत पड़ने पर फिर से पूछताछ करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को तलब कर सकती है। उनके कानूनी सलाहकार ए एस पोन्नाना ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सिद्धरमैया उन्हें जारी किये गए समन के जवाब में बुधवार को मैसुरु में लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए और उनसे लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टी जे उदेश के नेतृत्व वाली एक टीम ने पूछताछ की।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विधायक पोन्नाना ने कहा, ‘‘यह जांच अधिकारी के विवेक पर छोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उन्होंने उनसे पूछे गए सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं। अगर कुछ भी बाकी है या आगे की जांच के दौरान अगर उन्हें (जांचकर्ताओं को) कोई जानकारी मिलती है और यदि उन्हें लगता है कि वे उनका बयान दर्ज करना चाहते हैं, तो वे उन्हें (मुख्यमंत्री को) बुला सकते हैं।’’
पोन्नाना ने कहा, ‘‘पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 41ए के अनुसार, उन्होंने (जांचकर्ताओं ने) नोटिस दिया और उन्होंने (मुख्यमंत्री की) उपस्थिति दर्ज की तथा कहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो वे फिर से बुलाएंगे। यह एक सामान्य जांच प्रक्रिया है…जांच के दौरान जांच अधिकारी जितनी बार चाहें आरोपी या गवाहों को बुला सकते हैं।’’
लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोपी संख्या एक के रूप में नामजद मुख्यमंत्री, एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती बी एम को 14 भूखंडों के गैरकानूनी आवंटन के आरोप का सामना कर रहे हैं।
लोकायुक्त पुलिस ने 25 अक्टूबर को मुख्यमंत्री की पत्नी से पूछताछ की थी, जिन्हें आरोपी संख्या 2 के रूप में नामजद किया गया है।
सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, करीबी रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू — जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी — और अन्य को मैसूर लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई प्राथमिकी में नामजद किया गया है।
स्वामी और देवराजू पहले ही लोकायुक्त पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करा चुके हैं।
भाषा सुभाष माधव
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