विधिक सहायता: न्यायालय ने कहा, अन्य के प्रभावी समन्वय से उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर रहा है एनएएलएसए

विधिक सहायता: न्यायालय ने कहा, अन्य के प्रभावी समन्वय से उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर रहा है एनएएलएसए

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  • Publish Date - October 23, 2024 / 10:15 PM IST,
    Updated On - October 23, 2024 / 10:15 PM IST

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) अन्य एजेंसियों के प्रभावी समन्वय के साथ समान न्याय और नि:शुल्क कानूनी सहायता के संवैधानिक लक्ष्य के अनुरूप उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर रहा है।

उच्चतम न्यायालय ने जेल के कैदियों के लिए नि:शुल्क कानूनी सहायता तक पहुंच के पहलू पर कई निर्देश पारित किए। उसने कहा कि एनएएलएसए और अन्य एजेंसियां ​​भी विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि 2023-24 तक की स्थिति के अनुसार एनएएलएसए ने 4,56,798 कैदियों से संवाद किया और 3,24,867 को कानूनी सहायता प्रदान की है।

उसने कहा कि इस वर्ष जून तक की स्थिति के अनुसार, सत्र अदालतों में दोषियों की 880 अपील और उच्च न्यायालयों में 1,593 अपील दायर की गई हैं, तथा चार सितंबर तक, 1,309 दोषियों ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिकाएं (एसएलपी) दायर की हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि 2021-22 से एनएएलएसए द्वारा अपनाया गया एक अग्रणी उपाय कानूनी सहायता बचाव वकील प्रणाली की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य प्रदान की जाने वाली कानूनी सेवाओं को मजबूत और पेशेवर बनाना है।

पीठ ने कहा कि एनएएलएसए की स्थिति रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि दोषियों को मुफ्त कानूनी सेवाओं की उपलब्धता, अपील या एसएलपी दायर करने के अधिकार की उपलब्धता और इसे दायर करने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया गया था। पीठ ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट हैं कि जहां तक ​​कानूनी सेवाओं के प्रावधान का सवाल है, एसएलएसए (राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण) और डीएलएसए (जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण) और सहायक एजेंसियों के प्रभावी समन्वय के साथ एनएएलएसए अनुच्छेद 39-ए के संवैधानिक लक्ष्य को साकार करने के लिए शानदार सेवा प्रदान कर रहा है।’’ संविधान का अनुच्छेद 39-ए समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायता से संबंधित है।

अदालत ने कहा कि एनएएलएसए के पास विचाराधीन ‘अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी (यूटीआरसी) के सुचारू संचालन के लिए एक अलग मानक संचालन प्रक्रिया है।

पीठ ने कहा कि यूटीआरसी की बैठकों के परिणामस्वरूप 3,13,888 कैदियों की रिहाई की सिफारिश की गई है और पूरे भारत में 1,52,570 कैदियों की वास्तविक रिहाई हुई है।

उसने कहा, ‘‘यह स्वीकार करते हुए कि कैदियों की पहचान में अनजाने में चूक हो सकती है, एनएएलएसए ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं।’’

भाषा

अमित प्रशांत

प्रशांत