नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) वामपंथी नेताओं ने सोमवार को पिछले सप्ताह संसद में भीमराव आंबेडकर पर टिप्पणी करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) की बैठक के बाद जारी एक बयान में वामपंथी नेताओं ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का भी विरोध किया और कहा कि वे इसके खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाएंगे।
बैठक में माकपा पोलित ब्यूरो के समन्वयक प्रकाश करात, भाकपा महासचिव डी. राजा, भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, आरएसपी महासचिव मनोज भट्टाचार्य और एआईएफबी महासचिव जी. देवराजन शामिल हुए।
पार्टियों ने राजनीतिक और जन मुद्दों पर वामपंथी हस्तक्षेप बढ़ाने का भी निर्णय लिया।
रविवार को हुई बैठक के दौरान वामपंथी नेताओं ने कहा कि राज्यसभा में आंबेडकर पर शाह की टिप्पणी को लेकर देश भर में व्यापक गुस्सा है और विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
पार्टियों ने कहा, “हालांकि, न तो अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिम्मेदारी लेने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने कहा, “इसलिए वामपंथी दलों ने चल रहे विरोध प्रदर्शन को जारी रखने का फैसला किया है और 30 दिसंबर को संयुक्त रूप से विरोध दिवस आयोजित करने का फैसला किया है। राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस पर गृह मंत्री के रूप में अमित शाह के इस्तीफे की मांग की जाएगी।”
पिछले सप्ताह तब एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था, जब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आंबेडकर पर टिप्पणी के लिए शाह पर तीखा हमला किया और उन्हें बर्खास्त करने की मांग की, जबकि मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं ने उनका बचाव किया और कहा कि उन्होंने कांग्रेस के “आंबेडकर विरोधी” रुख को उजागर कर दिया है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का स्पष्ट विरोध करते हुए वामपंथी दलों ने इसे “संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं तथा उन्हें चुनने वाले लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला” बताया।
वामपंथी नेताओं ने कहा, “यह केन्द्रीकरण का नुस्खा है तथा विधानसभाओं के पांच वर्ष के कार्यकाल को मनमाने ढंग से कम करके जनता की इच्छा को कुचलने का प्रयास है। वामपंथी दल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाएंगे।”
उन्होंने सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगाने वाले चुनाव नियम संशोधन को तत्काल वापस लेने की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में राजनीतिक और जन मुद्दों पर वामपंथी हस्तक्षेप तेज किया जाएगा।
इसके लिए वामपंथी नीतियों को प्रस्तुत करने तथा संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए वामपंथी दलों की नियमित बैठकें आयोजित की जाएंगी।
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प्रशांत माधव
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