विधि मंत्रालय ने केंद्र सरकार से जुड़े मुकदमों को कम करने के लिए ‘निर्देश’ जारी किये

विधि मंत्रालय ने केंद्र सरकार से जुड़े मुकदमों को कम करने के लिए ‘निर्देश’ जारी किये

विधि मंत्रालय ने केंद्र सरकार से जुड़े मुकदमों को कम करने के लिए ‘निर्देश’ जारी किये
Modified Date: April 5, 2025 / 05:14 pm IST
Published Date: April 5, 2025 5:14 pm IST

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा)केंद्र सरकार से जुड़े अदालती मामलों को कम करने और रोकने के उद्देश्य से, केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों के लिए निर्देशों की एक श्रृंखला जारी की है, जिनका पालन करना आवश्यक होगा।

आधिकारिक आंकड़ों के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में केंद्र सरकार पक्षकार है।

मंत्रालय द्वारा इन मुकदमों को कम करने के लिए प्रस्तावित मुख्य उपायों में अदालतों में ‘अनुचित अपीलों’ को न्यूनतम करना तथा ‘अधिसूचनाओं और आदेशों में विसंगतियों’ को दूर करना प्रमुख है जो अदालती मामलों का कारण बनते हैं।

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मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि कानून मंत्रालय के विधि मामलों के विभाग ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति (सीओएस) की सिफारिशों के आधार पर ‘‘भारत सरकार द्वारा मुकदमेबाजी के कुशल और प्रभावी प्रबंधन के लिए निर्देश’’ तैयार किये हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों, उनके संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों, स्वायत्त निकायों, साथ ही केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) पर लागू होगा…।’’

विज्ञप्ति के मुताबिक सीपीएसई के लिए यह निर्देश मध्यस्थता से संबंधित मामलों में भी लागू होगा।

विधि मंत्रालय ने फरवरी में राज्यसभा को सूचित किया था कि केन्द्र सरकार विभिन्न अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में पक्षकार है, जिसमें अकेले वित्त मंत्रालय ही लगभग दो लाख मामलों में पक्षकार है।

विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधिक सूचना प्रबंधन एवं विवरण प्रणाली (एलआईएमबीएस) पर उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था, ‘‘लगभग सात लाख मामले लंबित हैं जिनमें भारत सरकार पक्षकार है। इनमें से लगभग 1.9 लाख मामलों में वित्त मंत्रालय को एक पक्ष के रूप में उल्लेखित किया गया है।’’

विधि मामलों के विभाग ने कहा कि निर्देश में सुशासन के लक्ष्य को सुदृढ़ करने, लोक कल्याण सुनिश्चित करने तथा समय पर न्याय प्रदान करने की सुविधा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।

निर्देश का उद्देश्य कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने, अनावश्यक मुकदमेबाजी को रोकने, अधिसूचनाओं और आदेशों में विसंगतियों को दूर करने तथा अनुचित अपीलों को न्यूनतम करने के लिए कड़े उपाय लागू करना है।

भाषा धीरज माधव

माधव


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