सोनिया गांधी हमें न सिखाएं राजधर्म, आपने ही दिया था आर-पार की लड़ाई का बयान: रविशंकर प्रसाद

सोनिया गांधी हमें न सिखाएं राजधर्म, आपने ही दिया था आर-पार की लड़ाई का बयान: रविशंकर प्रसाद

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  • Publish Date - February 28, 2020 / 10:26 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

नई दिल्ली: एनआरसी को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में पिछले चार दिनों से हिंसक घटनाएं सामने आई थी। इन घटनाओं में अब तक तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसक घटनाओं को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और गृहमंत्री अमित शह से इस्तीफा मांगने की बात कही थी। वहीं, दूसरी ओर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को सोनिया गांधी पर करारा प्रहार किया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सोनिया गांधी हमें राजधर्म न सिखाएं, आपने ही आर-पार की लड़ाई का बयान दिया था।

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रविशंकर प्रसाद ने सोनिया गांधी द्वारा दिल्ली हिंसा पर की गई टिप्पणीयों पर पलटवार करते हुए कहा है कि सोनिया गांधी हमें राजधर्म का पाठ पढ़ा रहीं हैं। जब​कि उन्होंने ही रामलीला मैदान से इस पार और उस पार की लड़ाई होगी। ये कौन सी भाषा है? ये उत्तेजना नहीं है तो क्या है? इसके बाद आप राष्ट्रपति से मुलाकात करते हैं और हमें राजधार्म सीखा रहे हैं। हम आपसे अपसे कुछ सवाल करते हैं बताइए क्या ये गलत है?

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सोनिया जी पहली बात आप ये बताइए कि जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के विस्थापित हैं, जिनको उनकी आस्था के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है, उसको लेकर आपकी पार्टी की एक सोच रही है। आपके नेताओं ने बार-बार खुलकर इस पर स्टैंड लिया था।

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प्रसाद यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे ​कहा कि इंदिरा गांधी ने युगांडा के विस्थापितों की मदद की थी, राजीव गांधी जी ने तमिल लोगों की मदद की थी, मनमोहन जी ने कहा था कि नागरिकता मिलनी चाहिए और अशोक गहलोत जी तो शिवराज पाटिल और आडवाणी जी को पत्र लिखा था कि नागरिकता मिलनी चाहिए। बताइए क्या ये कदम गलत थे और अगर इनके कदम गलत थे तो खुलकर बोलिए कि आपकी सरकार ने पूर्व में कई गलतियां की है।

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उन्होंने कहा कि सोनिया जी मुझे आपसे एक बात पूछनी है कि जब शाहीन बाग में बच्चों को प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया जा रहा था, तब भी आप खामोश थीं। क्या आपकी पार्टी ने ये भी नहीं कहने की जरूरत नहीं समझी कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं? ये है आपका राजधर्म।’

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