नई दिल्ली : C.37 के नाम से भी जाना जाने वाला लैंब्डा वेरिएंट (Lambda variant) 14 जून को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि इस स्ट्रेन में कई तरह के बदलाव आए हैं, जिसकी वजह से ये ज्यादा संक्रमक हो गया है और एंटीबॉडीज का भी इस पर असर नहीं हो रहा। कोरोना वायरस का C.37 स्ट्रेन जिसे लैम्ब्डा वैरिएंट (Lambda variant) भी कहा जा रहा है, विदेशों में तेजी से फैल रहा है। लेकिन फिलहाल भारत में कोरोना वायरस के इस स्ट्रेन का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में करीब 80 प्रतिशत संक्रमण के मामले इसी स्ट्रेन के हैं। कोरोना का ये वैरिएंट पिछले एक महीने में 27 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंता में हैं कि कोविड-19 का ये स्ट्रेन हो सकता है कि वैक्सीनेशन को लेकर इम्यून हो और इस पर वैक्सीन का कोई असर न हो। ये स्ट्रेन पेरू में तबाही मचा रहा है और मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इस स्ट्रेन में कई तरह के बदलाव आए हैं जिसकी वजह से ये ज्यादा संक्रमक हो गया है और एंटीबॉडीज का भी इस पर असर नहीं हो रहा। ह्यूमन सेल्स को संक्रमित करने वाले लैम्ब्डा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में सात म्यूटेशंस का एक खास पैटर्न होता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इसकी वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के मामले भी बढ़े हैं।
कोरोना वायरस के बाकी वेरिएंट्स की तरह ‘लांब्डा’ को भी सिर्फ लक्षणों के आधार पर नहीं पहचाना जा सकता। लक्षण बाकी वेरिएंट्स जैसे ही हैं। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के मुताबिक, बुखार, लगातार खांसी आना, गंध और स्वाद न आना लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई न कोई एक लक्षण मरीज में रहता है।