प्रौद्योगिकियों तक न्यायसंगत पहुंच की कमी सर्जरी क्षेत्र के भविष्य के लिए चुनौती: न्यायमूर्ति गवई

प्रौद्योगिकियों तक न्यायसंगत पहुंच की कमी सर्जरी क्षेत्र के भविष्य के लिए चुनौती: न्यायमूर्ति गवई

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  • Publish Date - October 26, 2024 / 11:50 AM IST,
    Updated On - October 26, 2024 / 11:50 AM IST

कोलकाता, 26 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी. आर. गवई ने शुक्रवार को कहा कि चिकित्सा सर्जरी के भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती उभरती प्रौद्योगिकियों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है।

न्यायमूर्ति गवई ने यहां ‘वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ एंडोस्कोपिक सर्जन्स’ में कहा कि चिकित्सा प्रौद्योगिकी में तेजी से होने वाली प्रगति नैतिक दिशानिर्देशों के विकास से अक्सर आगे निकल जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रौद्योगिकी का विकास सर्जरी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करता है तो उन लोगों के बीच की खाई को और गहरा करने का जोखिम भी बढ़ता है, जिनकी उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच है और जिनकी इस तक पहुंच नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि रोबोटिक सर्जरी और एआई निर्देशित प्रक्रियाएं अपार संभावनाएं प्रदान करती हैं, लेकिन लागत का सवाल एक महत्वपूर्ण बाधा बना हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों को कायम रखें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विकास करते समय कमजोर और हाशिये पर पड़े लोग पीछे न छूट जाएं।’’

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि कानून किफायती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के एकाधिकार को नियंत्रित करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कानून को सार्वभौमिक पहुंच के सिद्धांत को सुनिश्चित करना चाहिए। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति केवल आर्थिक परिस्थितियों के कारण जीवनरक्षक शल्य चिकित्सा नवोन्मेषों से वंचित न रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हम सर्जरी के क्षेत्र में एक नये युग की दहलीज पर खड़े हैं, ऐसे में चिकित्सा और कानूनी पेशों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।’’

भाषा सिम्मी सुरेश

सुरेश