नई दिल्ली। राष्ट्रपति कैंडिडेट के रुप में द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान कर बीजेपी ने सबके कान खड़े कर दिए। दलित वर्ग को इंप्रेस करने के लिए मोदी सरकार ने अपना मास्टरस्ट्रोक खेल दिया। सियासी जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने भेदे है। भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है। इसलिए आदिवासी मतदाता पार्टी की योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, 64 वर्षीय द्रौपदी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में भी पार्टी की मदद कर सकती हैं।
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द्रौपदी मुर्मू साल 2000 से 2004 तक ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक रहीं। वह पहली उड़िया नेता हैं। जिन्हें किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनाया गया । वह बीजेपी और बीजू जनता दल की गठबन्धन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री रहीं। 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रही हैं।
आज की संसदीय बोर्ड की बैठक में हम सभी लोग इस मत पर आए कि भाजपा और NDA अपने सभी घटक दलों के साथ बातचीत करते हुए हम राष्ट्रपति के लिए अपना प्रत्यासी घोषित करें।
NDA की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को घोषित किया गया है।
– श्री @JPNadda pic.twitter.com/xpjENO3o0F
— BJP (@BJP4India) June 21, 2022
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