नई दिल्ली: बीते दिनों पूरे देश में फोन टेपिंग के मामले को लेकर सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ था। मुद्दा सदन तक भी पहुंचा तो सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता का आता है तो सरकारें किसी भी नागरिक का फोन टैपिंग या इंटरनेट के माध्यम से होने वाले तमाम संवादों में कानूनी तौर पर तांक-झांक करवा सकती है। इस बात को सरकार ने लोकसभा में लिखित में कहा है। लेकिन ऐसा नहीं है सरकारी ऐजेंसियां अपनी मर्जी के अनुसार किसी का भी मोबाइल फोन टेप नहीं करवा सकती। इस बात के लिए अनुमति लेनी होती है, नियमों का पालन करना होता है।
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आपको बता दें कि केंद्र सरकार की 10 ऐसी कंपनियां हैं जो फोन टेपिंग करने का अधिकार रखती है, लेकिन हम पहले ही बता चुके हैं कि इस कार्य के लिए कंपनियों को अनुमति लेनी होती है, नियमों का पालन करना होता है। सरकार की ऐसी 10 कंपनियां हैं, जिन्हें फोन टेप करने का अधिकार है।
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बता दें ये सभी कंपनियां जरूरी नियमों का पालन कर संदिग्धों का फोन टेपिंग करने का अधिकार रखती हैं।
इन कंपनियों को केंद्र सरकार से जुड़े मामले में संदिग्धों का फोन टेपिंग करने से पहले केंद्रीय गृह सचिव की इजाजत लेनी होती है। वहीं, राज्य सरकारों से जुड़े मामलों में संबंधित राज्य के गृह सचिव की मंजूरी लेना आवश्यक है। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री, जी किशन रेड्डी के मुताबिक देश की संप्रभुता या अखंडता के हित में आईटी ऐक्ट, 2000 का सेक्शन 69 केंद्र या राज्य सरकार को किसी भी कंप्यूटर स्रोत से पैदा हुई या भेजी गई, पाई गई या जमा की गई सूचनाओं को इंटरसेप्ट या मॉनिटर करने का अधिकार देता है।