नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली में एक एसआई द्वारा नाज अदा कर रहे लोगों को लात मारे जाने की घटना के बाद मुस्लिम समाज इसके विरोध में उत्तर आया हैं। समाज के बुद्धिजीवियों ने इस घटना की खुलका मुखालफत की हैं। (Kicking Namazis in Delhi) हालांकि उस पुलिस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया हैं लेकिन इस पूरे मामले ने एक बार फिर से देश की सियासत की तपिश बढ़ा दी हैं।
इस पूरे घटना पर एआईएमआईएम के प्रमुख ने ट्वीट करते हुए अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने लिखा ‘जो पुलिस वाला नमाज़ियों को लात मार रहा था, उसे तो सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन हम सब जानते हैं उसे इतनी हिम्मत इसी लिये आयी क्योंकि समाज के एक बड़े हिस्से में अब मुसलमानों के साथ ऐसा सुलूक करना गर्व की बात हो चुकी है।
पुलिस वाले की गुलपोशी होगी, और शायद उसे भाजपा वाले अपना कैंडिडेट भी बना दें। जो लोग “सड़क अधिकार रक्षक” बन रहे हैं, वो ये बतायें कि गुड़गाँव में तो मुसलमान पुलिस परमिशन से एक ख़ाली प्लॉट में नमाज़ पढ़ते थे, संघियों को वो भी नहीं पचा।
कई मज़हबी और ग़ैर-मज़हबी लोग सड़कों का सांस्कृतिक काम के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन नमाज़ से चिढ़ इसी लिये है क्योंकि इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत अब आम हो गई है।
इस मामले पर शनिवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि विशेष वर्ग के खिलाफ लोगों के मन में इतनी नफरत भरी जा चुकी है, कि मुसलमानों को देखकर दिल्ली पुलिस का एसआई नफरत में अंधा होकर अपनी नैतिकता, संस्कृति और अन्य धर्मों के सम्मान का भाव तक भूल जाता है। कहा कि मानवता के अनुसार उस समय पुलिस चुप रहती। (Kicking Namazis in Delhi) अगर उसे कोई कानूनी कार्रवाई करनी थी तो नमाज के बाद कर सकती थी।मौलाना मदनी ने कहा कि नमाज पढ़ने की स्थिति में जिस तरह वायरल वीडियो में एसआई क्रोधित होकर अपने पैर से नमाजियों को ठोकर मार रहा है, इससे इस कटु सत्य का अंदाज़ा हो जाता है कि उसे मुसलमानों से नफरत है। पिछले दस वर्षों से देश में जिस प्रकार की नफरत बोई गई है यह घटना उसका परिणाम है।