केरल: विजयन ने नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में चित्रित करने के प्रति आगाह किया

केरल: विजयन ने नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में चित्रित करने के प्रति आगाह किया

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  • Publish Date - December 31, 2024 / 07:23 PM IST,
    Updated On - December 31, 2024 / 07:23 PM IST

वरकला, 31 दिसंबर (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को संत-समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में चित्रित करने के ‘संगठित प्रयासों’ के खिलाफ चेतावनी दी।

नारायण गुरु ने ‘लोगों के लिए एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर’ की वकालत की थी।

उन्होंने दावा किया कि गुरु न तो सनातन धर्म के प्रवक्ता थे और न ही इसके अनुयायी बल्कि वह एक संत हैं, जिन्होंने सनातन धर्म का पुनर्निर्माण किया और नये युग के लिए उपयुक्त धर्म की घोषणा की।

विजयन ने कहा कि सनातन धर्म कुछ और नहीं बल्कि ‘वर्णाश्रम धर्म’ (जाति-आधारित सामाजिक व्यवस्था) है, जिसे गुरु ने चुनौती दी और उस पर विजय प्राप्त की।

उन्होंने कहा कि गुरु ने नये युग के जिस ‘मानवतावादी धर्म’ की वकालत की वह समय के साथ खड़ा है।

विजयन ने यहां श्री नारायण धर्म संगम के मुख्यालय शिवगिरी में आयोजित तीर्थ सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि गुरु को सनातन धर्म के ढांचे में ढालने की कोशिश करना संत का बहुत बड़ा अपमान है।

उन्होंने कहा कि वर्णाश्रम धर्म सनातन धर्म का पर्याय या अभिन्न अंग है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु का तपस्वी जीवन ही संपूर्ण चातुर्वर्ण्य व्यवस्था पर सवाल उठाता है और उसे चुनौती देता है।

उन्होंने कहा, “समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को महज एक धार्मिक नेता या धार्मिक संत के रूप में कमतर आंकने के प्रयासों को समझना चाहिए। यह समझना चाहिए कि गुरु का कोई धर्म या जाति नहीं है।”

विजयन ने कहा कि अगर कोई गुरु को जाति या धर्म की सीमा में रखने की कोशिश करता है, तो इससे ज्यादा ऋषि का अपमान नहीं हो सकता।

विजयन ने लोगों से ऐसे प्रयासों के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “ऐसा न होने दें। दृढ़ता से कह सकते हैं कि इस तरह की गलत व्याख्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

भाषा जितेंद्र संतोष

संतोष