तिरुवनंतपुरम, 23 दिसंबर (भाषा) ‘त्रिशूर पुरम’ उत्सव में व्यवधान के संबंध में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एम आर अजित कुमार द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट ने केरल में फिर से विवाद को जन्म दे दिया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए मंदिर के वार्षिक अनुष्ठान में जानबूझकर बाधा पहुंचाई गई।
इस वर्ष अप्रैल में एक घटना की जांच के बाद तत्कालीन एडीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) ने रिपोर्ट सौंपी है। विपक्षी कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने आरोप लगाया कि उस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार, केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी को फायदा पहुंचाने के लिए उत्सव में व्यवधान डाला गया था।
सोमवार को मीडिया में आई रिपोर्ट की एक प्रति में त्रिशूर पुरम के दो साझेदारों में से एक, तिरुवम्बाडी देवस्व ओम पर निहित स्वार्थों के लिए इस प्रतिष्ठित उत्सव में ‘‘जानबूझकर व्यवधान’’ डालने का आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले हुई इस घटना का सरकार विरोधी गुटों, विपक्षी दलों और अन्य लोगों द्वारा सरकार विरोधी भावना पैदा करने और चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के मकसद से फायदा उठाया गया।
इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘तिरुवम्बाडी देवस्व ओम ने पुरम अनुष्ठान रोक दिया और ऐसी मांगें उठाईं जिन्हें सरकारी तंत्र किसी भी तरह से स्वीकार नहीं कर सकता…इससे पता चलता है कि वे पुरम का आयोजन नहीं कर रहे थे, बल्कि निहित स्वार्थों के लिए जानबूझकर इसमें बाधा डाल रहे थे।’’
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में तिरुवम्बाडी देवस्व ओम की आम सभा की बैठक में निर्णय लिया गया था कि यदि त्रिशूर जिला प्रशासन पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) अधिनियम के अनुसार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड लगाता है तो पुरम उत्सव को स्थगित कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुरम अनुष्ठान 20 अप्रैल को रात एक बजे तक सुचारु रूप से चला। इसमें दावा किया गया है कि व्यवधान तब शुरू हुआ जब तिरुवम्बाडी देवस्व ओम ने नाडुविलाल जंक्शन पर मदथिल वरावु जुलूस को रोक दिया, एझुनेल्लाथु समारोह के लिए तैयार छह हाथियों को वापस भेज दिया, पंडालों में लाइट बंद कर दीं और एमजी रोड पर टी जंक्शन पर कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ये कार्रवाइयां सरकार विरोधी भावना पैदा करने के लिए जानबूझकर की गई कोशिशें थीं, हालांकि इस दौरान पुलिस का जनता, उत्सव में उपस्थित लोगों या देवस्वोम प्रतिनिधियों के साथ कोई टकराव नहीं हुआ था।
रिपोर्ट को खारिज करते हुए तिरुवम्बाडी देवस्व ओम ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच कराए जाने की मांग की और तर्क दिया कि राज्य पुलिस जांच से सच्चाई सामने नहीं आएगी।
भाकपा नेता और पूर्व मंत्री वी एस सुनीलकुमार ने कहा कि एडीजीपी की रिपोर्ट अधूरी है और इसमें कुछ लोगों को बचाने का प्रयास किया गया है। सुनीलकुमार त्रिशूर में सुरेश गोपी से हार गए थे।
यह जांच राज्य सरकार और राज्य पुलिस प्रमुख के आदेश पर की गई थी, लेकिन बाद में एडीजीपी की जांच में कमियों का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया गया था। बाद में सरकार ने व्यवधान विवाद की तीन-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के इशारे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं से मिलने के आरोपों का सामना करने वाले एडीजीपी अजित कुमार को हाल में डीजीपी के पद पर पदोन्नत किया गया था।
भाषा आशीष संतोष
संतोष