केरल उच्च न्यायालय ने संसद से झूठे आरोपों के लिए असंगत दंड के मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया

केरल उच्च न्यायालय ने संसद से झूठे आरोपों के लिए असंगत दंड के मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया

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  • Publish Date - January 27, 2025 / 07:42 PM IST,
    Updated On - January 27, 2025 / 07:42 PM IST

कोच्चि, 27 जनवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मादक पदार्थ रखने का झूठा आरोप लगाने पर स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम समेत कानून के तहत निर्दिष्ट असंगत सजा पर सोमवार को चिंता जताई।

न्यायमूर्ति पी.वी कुन्हिकृष्णन ने संसद से झूठे आरोपों के लिए सजा के प्रावधानों में कमियों को दूर करने का आग्रह किया है।

अदालत ने यह टिप्पणी और सुझाव एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए दिया। व्यक्ति पर शीला सनी नामक एक महिला पर मादक पदार्थ रखने का झूठा आरोप लगाने का इल्जाम है।

अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अपना आदेश आगे की कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को भेजे।

अदालत ने कहा, “ऐसे मामलों में झूठे आरोपों के परिणाम पीड़ितों के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे मामलों में आरोपियों को जांच के लिए तुरंत पकड़ा जाना चाहिए, यदि आवश्यक हो, और यदि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सामग्री मौजूद है, तो उन्हें जल्द से जल्द अदालत में पेश किया जाना चाहिए।”

आदेश में कहा गया है, “संबंधित अदालत को ऐसे मामलों की सुनवाई विशेष रूप से करनी चाहिए और यदि आरोपी को सुनवाई के बाद दोषी पाया जाता है, तो आरोपी को निर्धारित कठोर सजा के अलावा, अधिकतम संभव मुआवजा देने का भी आदेश दिया जाना चाहिए।”

अदालत ने यह बयान नारायण दास द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिया। उसे एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58 (2) और 28 के तहत आरोपी बनाया गया है और उसे गिरफ्तारी का डर था। अदालत ने उसे सात दिन में जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा।

उसकी पुत्रवधू शीला सनी से जुड़े एक विवाद में एक स्कूटर में मादक पदार्थ छिपाने के आरोप लगाए गए जिसके बाद महिला को गिरफ्तार कर लिया गया।

एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58(2) और 28 में क्रमशः गिरफ्तारी या तलाशी के लिए झूठी सूचना देने पर सजा (दो वर्ष तक की कैद या जुर्माना) और अधिनियम के तहत अपराध का प्रयास करने या उसे बढ़ावा देने पर सजा का प्रावधान है।

झूठे आरोप की वजह से शीला सनी 72 दिन तक जेल में रहीं।

अदालत ने कहा कि झूठे आरोप में फंसाए गए व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिसमें लंबी जेल की सजा और भारी जुर्माना शामिल है।

अदालत ने कहा कि जबकि झूठे आरोप के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को केवल दो साल की हल्की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

भाषा नोमान वैभव

वैभव