Kerala High Court upholds Centre’s decision : कोच्चि, दो मार्च (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को यह कहते हुए बरकरार रखा कि चैनल के बारे में खुफिया रिपोर्ट में कुछ पहलू ऐसे हैं, जो लोक आदेश या राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. चाली की पीठ ने कहा कि ‘मीडिया वन’ के प्रसारण को प्रतिबंधित करने संबंधी केंद्र के 31 जनवरी के आदेश में हस्तक्षेप न करके एकल पीठ ने ‘सही’ फैसला लिया है।
अदालत ने कहा कि उसने गृह मंत्रालय की सभी फाइल पढ़ी हैं और यह पाया है कि जहां तक ‘मीडिया वन लाइफ’ और ‘मीडिया वन ग्लोबल’ के लिए ‘अपलिंक’ और ‘डाउनलिंक’ के आवेदन का संबंध है, राज्य की सुरक्षा के कुछ पहलू इससे जुड़े हैं क्योंकि मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड के संबंध कुछ अवांछित तत्वों के साथ हैं, जिसे सुरक्षा की दृष्टि से खतरा कहा जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘इसी तरह, मीडिया वन समाचार चैनल के ‘अपलिंकिंग’ और ‘डाउनलिंकिंग’ के नवीनीकरण की अर्जी का मसला है तो इसमें भी अदालत को ज्ञात हुआ है कि माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड और इसके प्रबंध निदेशक के खिलाफ खुफिया ब्यूरो की गम्भीर प्रतिकूल रिपोर्ट हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय की फाइल संवेदनशील और गोपनीय है, इसलिए हम राष्ट्रीय सुरक्षा, लोक आदेश और देश के शासन से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में कुछ नहीं कह रहे है।’’
अदालत ने कहा कि यद्यपि फाइल में बहुत सारे ब्योरे उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी उसका मानना है कि अनेक ऐसे पहलू हैं जिससे लोक आदेश या सरकार की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
पीठ ने उपरोक्त टिप्पणियों के साथ एकल पीठ द्वारा आठ फरवरी को दिए गए फैसले को चुनौती देने के लिए संपादक सहित चैनल के कुछ कर्मचारियों और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (केयूडल्ब्यूजे) द्वारा दायर अपीलों को भी खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार ने 31 जनवरी को चैनल के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।
एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि गृह मंत्रालय द्वारा ‘मीडिया वन’ को खुफिया एजेंसियों की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर सुरक्षा मंजूरी नहीं दिया जाना ‘‘न्यायोचित’’है।
हालांकि, पहली बार नहीं है जब मीडिया वन के प्रसारण पर रोक लगाई गई है।
अन्य मलयालम चैनल एशियानेट के साथ मीडिया वन के प्रसारण पर 2020 के दिल्ली दंगों की कवरेज को लेकर 48 घंटे की अवधि के लिए रोक लगाई गई थी। इस संबध में जारी आदेश में कहा गया था कि इन दोनों चैनलों ने हिंसा को कवर करते समय ‘‘धार्मिक स्थल पर हमले को रेखांकित किया और एक खास समुदाय का पक्ष लिया।’’
भाषा
सुरेश देवेंद्र
देवेंद्र