केरल उच्च न्यायालय ने कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में मुख्य साजिशकर्ता को जमानत दी

केरल उच्च न्यायालय ने कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में मुख्य साजिशकर्ता को जमानत दी

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  • Publish Date - December 13, 2024 / 04:36 PM IST,
    Updated On - December 13, 2024 / 04:36 PM IST

कोच्चि, 13 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने 2010 में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटे जाने के सनसनीखेज मामले में मुख्य साजिशकर्ता को जमानत दे दी है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने पिछले साल मुख्य साजिशकर्ता को दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन और न्यायमूर्ति पी. वी. बालकृष्णन की पीठ ने दोषी एम. के. नासर की सजा को स्थगित कर दिया जबकि एनआईए अदालत के फैसले के खिलाफ उसकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित है।

एनआईए अदालत ने नासर को इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता पाया था।

पीठ ने इस बात पर गौर किया कि नासर को दोषसिद्धि से पहले और दोषसिद्धि के बाद नौ साल से अधिक समय तक कारावास में रहना पड़ा और तथ्य यह है कि उसके जैसे ही आरोपों का सामना कर रहे अन्य आरोपियों को पहले कम अवधि के कारावास की सजा दी गई थी और सजा पूरी करने के बाद उन्हें रिहा किया जा चुका है।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके अलावा, सत्र न्यायाधीश के निष्कर्षों के खिलाफ एनआईए द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार किया जा रहा है, जिन पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।’’

इसने कहा, ‘‘इसमें देरी की भी संभावना है, क्योंकि मुख्य आरोपी ने आत्मसमर्पण कर दिया है और सत्र न्यायाधीश को कानून के अनुसार मुकदमा चलाना और उसका निपटारा करना पड़ सकता है और इस उद्देश्य के लिए कुछ मूल रिकॉर्ड की आवश्यकता हो सकती है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, उसकी राय है कि आवेदक (नासर) को दी गई सजा को उसकी अपील पर विचार होने तक स्थगित किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने एक लाख रुपये की जमानत राशि एवं इतनी ही राशि के दो मुचलकों की शर्त पर जमानत मंजूर की।

विशेष एनआईए अदालत ने मामले में दूसरे चरण की सुनवाई में नासर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के साथ-साथ हत्या के प्रयास, साजिश और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत विभिन्न अन्य अपराधों का दोषी पाया था।

वह हाथ काटने के मामले में दूसरे चरण की सुनवाई में दोषी ठहराए गए छह व्यक्तियों में शामिल था।

सुनवाई के पहले चरण में 10 लोगों को यूएपीए के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और आईपीसी के तहत दोषी करार दिया गया था। इसके अलावा अदालत ने तीन अन्य को आरोपियों को शरण देने के लिए भी दोषी करार दिया था।

इडुक्की जिले के थोडुपुझा में न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ का दाहिना हाथ चार जुलाई, 2010 को कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों ने काट दिया था।

यह हमला उस वक्त किया गया था जब वह (प्रोफेसर) अपने परिवार के साथ एर्णाकुलम जिले के मूवाट्टुपुझा स्थित एक गिरजाघर से रविवार की प्रार्थना के बाद घर लौट रहे थे।

सात लोगों के समूह ने प्रोफेसर जोसेफ का वाहन रोका, उन्हें बाहर खींचा और उनके साथ मारपीट कर उनका दाहिना हाथ काट दिया। घटना का मुख्य आरोपी सवाद अब भी फरार है।

मामले की शुरुआती जांच करने वाली पुलिस के मुताबिक, आरोपी न्यूमैन कॉलेज में बी.कॉम की सेमेस्टर परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र में जोसेफ की कथित अपमानजनक धार्मिक टिप्पणियों को लेकर उनकी जान लेना चाहते थे। यह प्रश्न पत्र जोसेफ ने तैयार किया था।

इस मामले में कुल 54 आरोपी थे, जिनमें से 37 के नाम आरोपपत्र में दर्ज है और 31 को पहले चरण में मुकदमे का सामना करना पड़ा था, क्योंकि अन्य फरार थे। कुछ अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जा सके, क्योंकि उन्हें पकड़ा नहीं जा सका।

विशेष एनआईए अदालत ने जुलाई, 2013 में 31 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे का पहला चरण शुरू किया था।

भाषा देवेंद्र रंजन

रंजन