कोच्चि (केरल), 22 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने दो साल पहले बाल दिवस के दिन राज्य के त्रिशूर जिले के एक घर में दलित समुदाय की 14 वर्षीय स्कूली छात्रा से बलात्कार करने के आरोपी पुलिस अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति के. बाबू ने अधिकारी को राहत देने से इनकार कर दिया, जो पीड़िता के स्कूल में छात्र पुलिस कैडेट (एसपीसी) प्रशिक्षक था। अदालत ने कहा कि उसने ‘‘जघन्य अपराध’’ किया है और वह ‘‘जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है’’।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अदालत संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अभियुक्त के मौलिक अधिकार की अनदेखी नहीं कर सकती, लेकिन वह किए गए अपराध की जघन्य प्रकृति से भी पूरी तरह से अपनी आंखें नहीं मूंद सकती।’’
अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सामग्री से पता चलता है कि अपीलकर्ता (पुलिस अधिकारी) पर जघन्य अपराध करने का आरोप है। प्रथम दृष्टया अभियोजन पक्ष का मामला बनता है।’’
अदालत का यह आदेश अधिकारी की उस याचिका पर आया जिसमें उसने सत्र अदालत की ओर से जमानत याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता अनुसूचित जाति से है और आरोपी की फोन पर उससे बात होती थी।
अभियोजन पक्ष ने उच्च न्यायालय को बताया कि 14 नवंबर, 2022 को वह उसे जन्मदिन की दावत का लालच देकर त्रिशूर जिले के कोडुंगल्लूर के पास एक घर में ले गया और उससे बलात्कार किया।
आरोपी को 26 सितंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में है।
भाषा सुरभि शोभना
शोभना