केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बीच राज्यपाल ने एक विधेयक को मंजूरी दी

केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बीच राज्यपाल ने एक विधेयक को मंजूरी दी

केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बीच राज्यपाल ने एक विधेयक को मंजूरी दी
Modified Date: November 28, 2023 / 07:45 pm IST
Published Date: November 28, 2023 7:45 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

तिरुवनंतपुरम, 28 नवंबर (भाषा) केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार की एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के बीच विधानसभा से पारित आठ में से एक लंबित विधेयक को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार की याचिका में राजभवन पर विधेयकों को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी करने का आरोप लगाया गया है।

राजभवन की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यपाल ने महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक को मंजूरी दे दी है, जबकि विवादित विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक समेत सात विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए उनके (राज्यपाल के) पास लंबित है।

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प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने 24 नवंबर को केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें राज्यपाल पर विधानसभा से पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया गया था।

राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए रखे गए विधेयकों में दो विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक हैं।

राजभवन की विज्ञप्ति के अनुसार, अन्य विधेयकों में लोकायुक्त विधेयक, विश्वविद्यालय विधेयक 2022 (राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने से संबंधित), विश्वविद्यालय खोज समिति के विस्तार से संबंधित विधेयक और सहकारी (मिल्मा) विधेयक शामिल हैं।

पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने केरल के राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पंजाब मामले में उसके हालिया फैसले पर गौर करने का निर्देश दिया था।

पंजाब से संबंधित मामले में न्यायालय ने कहा था कि राज्यपाल कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया में बाधा नहीं डाल सकते।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यपाल बिना किसी कारण विधेयकों को अनिश्चित काल तक अपने पास नहीं रख सकते।

न्यायालय ने कहा था कि अगर राज्यपाल किसी विधेयक को मंजूरी नहीं देने का फैसला करते हैं, तो उन्हें विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधायिका के पास वापस भेजना होगा।

फैसले में भी कहा गया है कि अनिर्वाचित ‘राज्य के प्रमुख’ को संवैधानिक शक्तियां मिली हुई हैं, लेकिन इन शक्तियों का उपयोग राज्य विधानसभाओं द्वारा कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल करने के लिए नहीं किया जा सकता।

भाषा जोहेब दिलीप

दिलीप


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