केरल: कविता पर शराब इकाई को मंजूरी दिलाने का आरोप, बीआरएस नेता ने किया खंडन

केरल: कविता पर शराब इकाई को मंजूरी दिलाने का आरोप, बीआरएस नेता ने किया खंडन

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  • Publish Date - January 30, 2025 / 06:28 PM IST,
    Updated On - January 30, 2025 / 06:28 PM IST

मलप्पुरम/हैदराबाद, 30 जनवरी (भाषा) कांग्रेस नेता वी. डी. सतीशन ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले में आरोपी बीआरएस नेता के. कविता ने पलक्कड़ में शराब बनाने वाली इकाई को मंजूरी दिलाने के सिलसिले में केरल का दौरा किया था हालांकि पूर्व सांसद ने इन आरोपों का खंडन किया है।

कविता ने सतीशन के आरोपों को ‘निराधार और अपमानजनक’ करार दिया और कहा कि अगर कांग्रेस नेता ने अपना झूठा बयान वापस नहीं‍ लिया तो वह कानूनी कदम उठायेंगी।

केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सतीशन ने आरोप लगाया, “वह (कविता) ओएसिस कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए केरल आई थीं।”

मीडिया को संबोधित करते हुए सतीशन ने राज्य में कविता के ठहरने की जांच कराये जाने की मांग की।

उन्होंने आरोप लगाया, “शराब निर्माण इकाई के आवंटन की आड़ में कई रहस्यमय सौदे हुए थे।”

उन्होंने दोहराया कि यह निर्णय संबंधित सरकारी विभागों से परामर्श किए बिना लिया गया।

सतीशन ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और आबकारी मंत्री एम बी राजेश ने एकतरफा तरीके से ओएसिस कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ‘शराब निर्माण संयंत्र’ स्थापित करने की अनुमति देने का निर्णय लिया था।

कविता ने आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप कांग्रेस द्वारा सस्ती राजनीतिक सुर्खियां बटोरने के लिए ‘‘हताश और बेवजह प्रयास’’ के अलावा और कुछ नहीं हैं।

बीआरएस नेता ने कहा कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से सतीशन के ‘मनगढ़ंत दावों’ को वह स्पष्ट रूप से खारिज करती हैं।

उन्होंने हैदराबाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैं यह स्पष्ट कर दूं कि अगर सतीशन अपने झूठे बयानों को तत्काल और बिना शर्त वापस नहीं लेते हैं, तो मैं इस दुर्भावनापूर्ण अपमान के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने व अपनी ईमानदारी की रक्षा की खातिर कठोर कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होऊंगी।”

इससे पहले बुधवार को विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने अपने दावों के समर्थन में एक कैबिनेट नोट जारी किया था।

नेता प्रतिपक्ष के अनुसार, 15 जनवरी के नोट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इस मामले (मंजूरी देने) पर किसी अन्य विभाग के साथ कोई चर्चा नहीं की गई।

भाषा जितेंद्र अविनाश

अविनाश