बेंगलुरु, 18 जुलाई (भाषा) कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में 187 करोड़ रुपये के घोटाले के मुद्दे पर राज्य विधानसभा में बृहस्पतिवार को जमकर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के जवाब पर नाराजगी जताते हुए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने अध्यक्ष के आसन के करीब जाकर हंगामा किया। भाजपा सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री का जवाब पूर्व मंत्री बी नागेन्द्र को बचाने जैसा है। नागेन्द्र ने निगम के लेखा अधीक्षक द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
सिद्धरमैया ने जवाब में कहा कि निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी. ने अपने सुसाइड नोट में केवल तीन नामों का उल्लेख किया है।
उन्होंने विधानसभा को बताया, “नोट में एमडी जेजी पद्मनाभ, अकाउंटेंट परशुराम दुर्गन्नावर और मुख्य महाप्रबंधक (यूबीआई, एमजी रोड) सुचिस्मिता राहुल के नाम थे, जो उनकी मौत के लिए जिम्मेदार थे।”
उन्होंने कहा कि चंद्रशेखरन की पत्नी कविता ने भी अपनी शिकायत में तीन अधिकारियों का नाम लिया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आत्महत्या के दो दिन बाद 28 मई को वाल्मीकि विकास निगम के महाप्रबंधक ए राजशेखर ने बेंगलुरु में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया।
भाषा जितेंद्र माधव
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