कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एमयूडीए घोटाला मामले में लोकायुक्त को जांच जारी रखने का आदेश दिया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एमयूडीए घोटाला मामले में लोकायुक्त को जांच जारी रखने का आदेश दिया

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  • Publish Date - January 15, 2025 / 04:25 PM IST,
    Updated On - January 15, 2025 / 04:25 PM IST

बेंगलुरु, 15 जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से जुड़े कथित भूखंड आवंटन घोटाले की जांच जारी रखने की बुधवार को अनुमति दे दी।

अदालत ने निर्देश दिया कि जांच की निगरानी लोकायुक्त पुलिस के महानिरीक्षक द्वारा की जाए और भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी को अब तक की अपनी जांच के विस्तृत रिकॉर्ड को अदालत में पेश करने के निर्देश दिए।

कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की एमयूडीए भूखंड आवंटन घोटाले की सीबीआई जांच के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया गया।

याचिकाकर्ता ने उच्च पदस्थ अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता को देखते हुए लोकायुक्त जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाया।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘लोकायुक्त को अब तक की जांच के सभी विवरण रिकॉर्ड में रखे जाने चाहिए। जांच की निगरानी लोकायुक्त के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा की जाएगी। कोई भी रिपोर्ट अगली सुनवाई से एक दिन पहले प्रस्तुत की जानी चाहिए।’’

अदालत ने अगली सुनवाई 27 जनवरी के लिए निर्धारित की।

याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए स्वतंत्र जांच की वकालत की और इस बात का हवाला दिया कि महत्वपूर्ण मामले के रिकॉर्ड कथित तौर पर नौकरशाहों द्वारा ले लिए गए थे।

इसके जवाब में न्यायालय ने यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि किन अधिकारियों ने फाइलें ली थीं और निर्देश दिया कि अगले दिन तक प्रासंगिक दस्तावेज दाखिल किए जाएं।

सिंह ने कहा कि मामले में पक्षकार मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी ने विवादित भूखंड को वापस करने की पेशकश की थी।

पक्षपातपूर्ण व्यवहार किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए वकील सिंह ने कहा, ‘‘अगर कोई सामान्य नागरिक भूखंड हासिल करने की चाहत रखता है तो उसके लिए प्रक्रिया कठिन है। हालांकि, इस काम (भूखंड को वापस लेना) का तेजी से निस्तारण किया गया।’’

सिद्धरमैया की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रविवर्मा कुमार और अभिषेक मनु सिंघवी ने इन दलील को अप्रासंगिक बताते हुए खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पहले से ही अदालत में हैं और उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। अदालत ने मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए निर्णय लेने से पहले जांच रिकॉर्ड की समीक्षा करने की अपनी मंशा दोहराई।

लोकायुक्त को अपनी जांच जारी रखने और 27 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

भाषा

खारी माधव

माधव