CM की कुर्सी कर रही प्रदेश के नए मुखिया का इंतजार…! कब लगेगी कर्नाटक मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर?

Karnataka Chief Minister Name: सीएम नाम को लेकर ऐसे भी कयास लगाए जा रहे है कि कहीं प्रदेश में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तो लागू नहीं होगी।

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  • Publish Date - May 15, 2023 / 02:49 PM IST,
    Updated On - May 15, 2023 / 02:49 PM IST

Karnataka Chief Minister Name : बेंगलुरू। कर्नाटक में चुनाव संपन्न हो गए है मतगणना में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल चुका है। लेकिन बहुमत के बाद अब सबसे बड़ी दिक्कत सीएम के नाम को लेकर हो रही है। कुर्सी एक और नाम दो। संस्पेंस अभी भी बरकरार है। कर्नाटक में एक ओर जहां डीके शिवकुमार सीएम का चेहरा हैं तो वहीं दूसरी ओर सिद्धारमैया भी प्रदेश के मुखिया के रूप में परफेक्स बैठ रहे है। सीएम नाम को लेकर ऐसे भी कयास लगाए जा रहे है कि कहीं प्रदेश में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तो लागू नहीं होगी।

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Karnataka Chief Minister Name : आज पर्यवेक्षकों ने बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक के बाद सभी सदस्यों के साथ वन टू वन बैठक की है। इसके बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे की सभी विधायक एक बॉक्स में चिट डालें कि वे किसे अपना सीएम बनाना चाहते हैं। पर्यवेक्षकों ने सभी MLA को सीक्रेट बॉक्स में चिट के जरिए उनकी राय मांगी है।

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Karnataka Chief Minister Name : सूत्रों के मुताबिक विधायक के साथ बैठक में तीन तरह की बातें सामने आईं हैं। पहला जो MLA दोनों ही नेताओं के करीबी हैं उनकी राय ये थी कि जो आलाकमान का फैसला है उनका भी वही मत है। दूसरा जो MLA सिद्धारमैया के सपोर्टर्स हैं उन्होंने सिद्धारमैया को अपना नेता माना और तीसरा जो शिवकुमार के समर्थक थे उन्होंने शिवकुमार को अपना नेता माना है।

 

जीत दिलवाने में DK शिवकुमार ही सबसे बड़े किरदार?

सूत्रों की मानें तो इस रायशुमारी में सिद्धारमैया के नाम पर ज्यादा समर्थन मिला। इस बात की भनक जब DK शिवकुमार को मिली तो उसके बाद से ही उनके तेवर थोड़े बदले हुए नजर आए। बता दें कि इसमें कोई दो राय नहीं कि 2019 में निष्प्राण हो चुके संगठन में जान फूंककर पार्टी को 135 विधायकों के साथ रिकॉर्ड जीत दिलवाने में DK शिवकुमार ही सबसे बड़े किरदार हैं। लेकिन फिर भी आलाकमान उन्हें CM बनाने की स्थिति में फिलहाल नहीं दिख रही है, उसकी वजह है कि अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनाव।

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सिद्धारमैया की चुनाव में भूमिका

वहीं इस रेस में सिद्धारमैया भी पीछे नही है। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं जिसकी आबादी तकरीबन 8 फीसदी है, इसके अलावा सिद्धारमैया वो नेता हैं जिन्होंने अहिंदा आंदोलन को राज्य में फिर से जिंदा किया, इस आंदोलन के जरिए सिद्धारमैया अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों की आवाज बन गए। वहीं इस चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ है कि कर्नाटक की आबादी में तकरीबन 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट किया जिसका श्रेय कहीं न कहीं सिद्धारमैया को ही जाता है।

 

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