आज मनाया जा रहा कारगिल विजय दिवस, ‘ऑपरेशन विजय’ में शहीद हुए वीरों को दी जा रही श्रद्धांजलि..

Kargil Vijay Diwas: 'ऑपरेशन विजय' के दौरान भारत के कई वीर सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी, लेकिन वह एक इंच भी अपनी जमीन से पीछे नहीं हटे थे।

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  • Publish Date - July 26, 2022 / 07:01 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

नई दिल्ली। Kargil Vijay Diwas: आज देशभर में करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन भारतीय सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देकर पाकिस्तानी आतंकवादी और उनके सिपाहियों को कारगिल में हरा कर पीछे खदेड़ दिया था। इस खास मौके पर हर साल 26 जुलाई को वीरगति को प्राप्त होने वाले वीर सपूतों को याद करते हुए ‘विजय दिवस’ मनाया जाता है। आज का दिन ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता का प्रतीक माना जाता है। बता दें कि साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच चला युद्ध मई से जुलाई तक हुआ था।

‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान भारत के कई वीर सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी, लेकिन वह एक इंच भी अपनी जमीन से पीछे नहीं हटे थे। करगिल विजय दिवस के मौके पर हर साल देश के वीर जवानों को याद करते हुए उनकी वीरता और साहस के किस्से हर जगह सुनाए जाते हैं।

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1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।

प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे।

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