न्यायमूर्ति गवई ने अनुच्छेद 39ए के महत्व पर जोर दिया

न्यायमूर्ति गवई ने अनुच्छेद 39ए के महत्व पर जोर दिया

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  • Publish Date - November 17, 2024 / 09:45 PM IST,
    Updated On - November 17, 2024 / 09:45 PM IST

चंडीगढ़, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति बीआर गवई ने हाशिये पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में कानूनी सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर रविवार को विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 39ए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के वंचित, हाशिये पर पड़े और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता के अधिकार की गारंटी देता है, तथा उन लोगों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करता है।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, न्यायमूर्ति गवई ने ये विचार यहां चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में आयोजित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान साझा किए, जिसका विषय था ‘‘हाशिये पर पड़े लोगों का सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की ओर एक कदम।’’

विज्ञप्ति में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान तथा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति गवई ने जेल में कानूनी सहायता क्लीनिक के लिए नालसा की मानक संचालन प्रक्रियाओं सहित महत्वपूर्ण पहल का विस्तार से जिक्र किया, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि कैदी अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक हों और उनका इस्तेमाल करें।

उन्होंने कानूनी सहायता बचाव परामर्श प्रणाली और किशोर न्याय एवं पुनर्वास को लक्षित करने वाले अभियानों जैसे विशिष्ट कार्यक्रमों पर भी चर्चा की।

न्यायमूर्ति गवई ने कानूनी सहायता तंत्र को मजबूत करने और सभी नागरिकों, विशेष रूप से सबसे कमजोर वर्ग के लोगों की गरिमा, समानता और अधिकारों को बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयासों का आग्रह किया।

क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान, ‘‘पीड़ित देखभाल और सहायता प्रणाली योजना’’ का भी आगाज किया गया, जिसमें अपराध के पीड़ितों को समग्र देखभाल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम को रेखांकित किया गया। इसके अतिरिक्त, मादक द्रव्यों के सेवन के मुद्दों को संबोधित करने के महत्व को उजागर करने के लिए नशीले पदार्थों के खिलाफ जागरूकता पर केंद्रित एक विशेष वीडियो का अनावरण किया गया।

एक खास ऐप भी पेश किया गया, जिसका उद्देश्य कानूनी सेवाओं और संसाधनों तक पहुंच को सुव्यवस्थित करना, जरूरतमंद लोगों को न्याय और सहायता प्रदान करने में अधिक पहुंच और दक्षता सुनिश्चित करना है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बच्चों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर देते हुए उन्हें भारतीय समाज में सबसे कमजोर समूहों में से एक बताया। बाल अधिकारों के उल्लंघन, कुपोषण और कोविड-19 महामारी के लंबे समय तक जारी रहने वाले प्रभावों के बारे में चिंताजनक आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और समग्र विकास सुनिश्चित करने पर सामूहिक ध्यान देने का आग्रह किया।

भाषा आशीष पारुल

पारुल