बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों ने काम फिर से पूरी तरह बंद किया, बुधवार को निकालेंगे मार्च

बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों ने काम फिर से पूरी तरह बंद किया, बुधवार को निकालेंगे मार्च

  •  
  • Publish Date - October 1, 2024 / 02:20 PM IST,
    Updated On - October 1, 2024 / 02:20 PM IST

कोलकाता, एक अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों ने सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानों में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से मंगलवार को फिर से अनिश्चितकाल के लिए काम पूरी तरह बंद कर दिया।

इससे एक दिन पहले भी उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि चिकित्सकों को बाह्य रोगियों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज समेत सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए।

चिकित्सकों ने मंगलवार सुबह से अनिश्चितकालीन के लिए पूरी तरह काम बंद करने के अपने निर्णय की घोषणा करने से पहले सोमवार को लगभग पूरी रात शासी निकाय की बैठक की।

कनिष्ठ चिकित्सक 42 दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद 21 सितंबर को सरकारी अस्पतालों में आंशिक रूप से अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। चिकित्सकों ने नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एक महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के विरोध में काम बंद कर दिया था।

प्रदर्शनकारी चिकित्सकों में शामिल अनिकेत महतो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें सुरक्षा की हमारी मांगों को पूरा करने को लेकर राज्य सरकार का कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं दिख रहा। आज (विरोध प्रदर्शन का) 52वां दिन है और हम पर अब भी हमले हो रहे हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठकों के दौरान किए गए अन्य वादों को पूरा करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। मौजूदा स्थिति में हमारे पास आज से काम पूरी तरह बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब तक राज्य सरकार इन मांगों पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं करती, तब तक कार्य पूरी तरह बंद रहेगा।’’

सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में मंगलवार को काम पूरी तरह बंद रहने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति से निपटने के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों को आईपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट), ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) और आपातकालीन सेवाओं में लगाया गया है।

कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने बुधवार को मध्य कोलकाता में ‘कॉलेज स्क्वायर’ से धर्मतला तक मार्च निकालने का आह्वान किया है तथा सभी वर्गों के लोगों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।

उन्होंने आरजी कर अस्पताल की चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की ‘‘धीमी गति’’ पर भी निराशा व्यक्त की।

बयान में कहा गया है, ‘‘…हमें महसूस हो रहा है कि सीबीआई की जांच कितनी धीमी है। हमने पहले भी कई बार देखा है कि सीबीआई किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में असमर्थ रही है और आरोप दायर करने में देरी के कारण ऐसी घटनाओं के असली अपराधी छूट जाते हैं। उच्चतम न्यायालय ने केवल सुनवाई को स्थगित किया है और वास्तविक कार्यवाही की अवधि को कम किया है। हम इस लंबी न्यायिक प्रक्रिया से निराश और क्रोधित हैं।’’

कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि उनकी सबसे अहम मांग मृतक महिला चिकित्सक के लिए न्याय है और लंबी न्यायिक प्रक्रिया अपनाकर इसमें देर करने के बजाय तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।

चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सचिव को उनके पद से तत्काल हटाने तथा स्वास्थ्य विभाग से प्रशासनिक अक्षमता एवं भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी लेने की भी मांग की।

उन्होंने राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली के अलावा एक डिजिटल बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली स्थापित करने और सीसीटीवी कैमरों, चिकित्सकों के विश्राम के लिए कक्ष और स्नानगृह के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु कार्यबल गठित करने की भी मांग की।

उन्होंने अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाए जाने, स्थायी महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती करने और अस्पतालों में चिकित्सकों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के सभी रिक्त पदों को तुरंत भरने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हर मेडिकल कॉलेज में छात्र परिषदों के चुनाव तुरंत कराए जाने चाहिए। सभी कॉलेज को ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) को मान्यता देनी चाहिए। कॉलेज और अस्पतालों का प्रबंधन करने वाली सभी समितियों में छात्रों और कनिष्ठ चिकित्सकों का निर्वाचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए।’’

कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि ‘पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल’ (डब्ल्यूबीएमसी) और ‘पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड’ (डब्ल्यूबीएचआरबी) में व्याप्त ‘‘भ्रष्टाचार और अराजकता’’ की तुरंत जांच होनी चाहिए।

बयान में कहा गया, ‘‘हमारी मृतक बहन के लिए न्याय, एक स्वस्थ, जन-उन्मुख, भय-मुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और सबसे बढ़कर, समाज से भय की राजनीति को खत्म करने के लिए हमारा विरोध जारी रहना चाहिए।’’

न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अस्पतालों में सीसीटीवी लगाने और स्नानगृह तथा अलग विश्राम कक्षों के निर्माण में ‘‘धीमी’’ प्रगति पर सोमवार को अप्रसन्नता जताई और राज्य सरकार को काम को 15 अक्टूबर तक पूरा करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले पर सुनवाई कर रही थी।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश