न्यायपालिका या विधायिका का कार्यपालिका शक्तियों का इस्तेमाल करना लोकतंत्र के अनुरूप नहीं : धनखड़

न्यायपालिका या विधायिका का कार्यपालिका शक्तियों का इस्तेमाल करना लोकतंत्र के अनुरूप नहीं : धनखड़

न्यायपालिका या विधायिका का कार्यपालिका शक्तियों का इस्तेमाल करना लोकतंत्र के अनुरूप नहीं : धनखड़
Modified Date: October 6, 2024 / 10:23 pm IST
Published Date: October 6, 2024 10:23 pm IST

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर कहा कि न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका शक्तियों का इस्तेमाल करना लोकतंत्र और संविधान के अनुरूप नहीं है।

धनखड़ ने समाज के प्रबुद्ध वर्ग और शिक्षाविदों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श करें, ताकि राज्य (सरकार) के तीनों अंगों — कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका — द्वारा संवैधानिक सार के प्रति सम्मान सुनिश्चित किया जा सके।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर यहां आयोजित सम्मान समारोह में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के प्रति शत्रुता रखने वाली आंतरिक और बाहरी ताकतों का एकजुट होना और राष्ट्र विरोधी विमर्श गंभीर चिंता का विषय है।

 ⁠

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय मिजाज (मूड) पर प्रभाव डालने के लिए ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, ताकि इन घातक ताकतों को नाकाम किया जा सके।

शक्तियों के पृथक्करण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकारी शासन कार्यपालिका का काम है, ठीक वैसे ही, जैसे कि कानून बनाना विधायिकाओं का और (मामलों का) निर्णय सुनाना न्यायालयों का काम है।

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका या विधायिका द्वारा कार्यपालिका शक्तियों का इस्तेमाल लोकतंत्र और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।’’

धनखड़ ने इस बात को रेखांकित किया कि न्यायपालिका द्वारा कार्यकारी शासन विधि शास्त्र और अधिकार क्षेत्र दृष्टि से संविधान सम्मत नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हालांकि, यह पहलू लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस महत्वपूर्ण पहलू पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने सिंह से इस विषय पर चर्चा शुरू करने के लिए प्रबुद्ध वर्ग और शिक्षाविदों के साथ आगे आने का आग्रह किया।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में