बीजेपी शासित इस राज्य में 10,000 अध्यापकों की नौकरी पर मंडराया खतरा

बीजेपी शासित इस राज्य में 10,000 अध्यापकों की नौकरी पर मंडराया खतरा

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  • Publish Date - August 18, 2019 / 07:49 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

बीजेपी शासित त्रिपुरा में 10323 अध्यापकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मंजूर एक्सटेंशन की अवधि खत्म होने के कारण होगा। इस बीच त्रिपुरा सरकार ने कहा है कि वह कानून के दायरे में रहते हुए इस समस्या का समाधान तलाश रही है।

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इन्हें टर्मिनेट कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इन लोगों को नौकरी से 31 दिसंबर 2017 से टर्मिनेट कर दिया था। निष्कासित टीचरों को बाद में एडहॉक पदों पर समायोजित कर लिया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एडहॉक की अवधि को मार्च 2020 तक के लिए बढ़ा दिया था।

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अब चूंकि एक्सटेंशन की अवधि खत्म होने में सात महीने का समय बचा है। ऐसे में स्कूल टीचर्स अब सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक ग्रेजुएट टीचर बिमल साहा ने अगरतला में विरोध प्रदर्शन के दौरान इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यदि सरकार ने इस मामले का कोई हल नहीं निकाला तो उन लोगों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा।

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इसके अलावा उनके पास जीविकोपार्जन का कोई जरिया नहीं रह जाएगा। मालूम हो कि राज्य में सत्ता में आने से पहले भाजपा ने चुनाव में वादा किया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वह शिक्षकों की समस्या का स्थायी समाधान निकालेंगे।

टीचर्स की मांग है कि पांच साल से अधिक सेवा देने वालों टीचर्स को रेगुलर किया जाए। यदि कार्य के दौरान किसी टीचर की मौत होती है तो उनके परिजनों को इसका लाभ मिलना चाहिए। इस मामले पर बातचीत करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने राज्य सचिवालय में कहा कि उनकी सरकार शिक्षकों की समस्या को लेकर संवेदनशील है लेकिन कानून तोड़ने को बर्दास्त नहीं किया जा सकता है।

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नाथ ने कहा कि हमारी सरकार अदालत के फैसले का सम्मान करती है। हम भी शिक्षकों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस लिए शिक्षा सचिवों और विधि विभाग के अधिकारियों को 10,323 शिक्षकों के भविष्य के बारे में कदम उठाने को कहा गया है। हालांकि मंत्री ने इस संबंध में किसी भी तरह की कोई ठोस योजना नहीं बताई।

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