जेएनयू को 2017 से यौन उत्पीड़न की 151 शिकायत मिलीं: आंकड़े |

जेएनयू को 2017 से यौन उत्पीड़न की 151 शिकायत मिलीं: आंकड़े

जेएनयू को 2017 से यौन उत्पीड़न की 151 शिकायत मिलीं: आंकड़े

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Modified Date: November 29, 2024 / 03:37 PM IST
Published Date: November 29, 2024 3:37 pm IST

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2017 से यौन उत्पीड़न की 151 शिकायत दर्ज की गई हैं। यह जानकारी एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन के जरिए प्राप्त आंकड़ों से मिली है।

जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने 2017 में ही उत्पीड़न विरोधी लैंगिक संवेदनशीलता समिति (जीएससीएएसएच) का स्थान लिया था।

विश्वविद्यालय का दावा है कि उसने इनमें से लगभग 98 प्रतिशत शिकायतों का समाधान कर दिया है तथा केवल तीन मामलों की ही जांच जारी है।

बहरहाल, जब शिकायतों की प्रकृति और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो जेएनयू ने गोपनीयता का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया।

जीएससीएएसएच को 2017 में समाप्त करने का निर्णय एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। जेएनयू छात्र संघ और शिक्षक संघ इसकी बहाली की लगातार मांग कर रहे हैं।

उनका तर्क है कि आईसीसी में पारदर्शिता और स्वायत्तता का अभाव है जबकि जीएससीएएसएच में ये दोनों हैं। उनका कहना है कि आईसीसी प्रशासनिक प्रभाव के तहत काम करती है, जिससे इसकी प्रक्रियाओं में विश्वास कम होता है।

आंकड़ों से पता चलता है कि एक साल में सबसे अधिक मामले 2018-19 में दर्ज किए गए। इस अवधि में 63 शिकायत दर्ज की गईं। आईसीसी के गठन से पहले, 2016 में जूएनयू को 38 रिकॉर्ड शिकायत मिली थीं।

कोविड-19 महामारी के दौरान इन मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई और 2019 एवं 2021 के बीच केवल छह शिकायत दर्ज की गईं। ऐसी संभावना है कि इस दौरान परिसर में गतिविधियां कम होने के कारण ऐसा हुआ।

हाल के वर्षों में संख्या में वृद्धि हुई है, 2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायत दर्ज की गईं।

आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में 17 मामले, 2018-19 में 63, 2019-20 में पांच, 2020-21 में एक और 2021-22 में पांच मामले दर्ज किए गए।

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने 2015 में पाया था कि शहर के शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों के सबसे अधिक मामले जेएनयू में सामने आए और 2013 से 2015 के बीच तीन साल की अवधि में 51 मामले दर्ज किए गए जो इस अवधि के दौरान दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों में मिली कुल शिकायतों का लगभग 50 प्रतिशत था।

हाल में कई मामलों ने जेएनयू को गहन जांच के दायरे में ला दिया है।

द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से की गई ‘‘यौन उत्पीड़न’’ की उसकी शिकायत पर कथित ‘‘निष्क्रियता’’ के बाद अप्रैल में लगातार 12 दिन तक परिसर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। बाद में पीड़िता और उसके समर्थकों को विरोध प्रदर्शन करने के लिए विश्वविद्यालय ने दंडित किया था।

अक्टूबर में, 47 छात्राओं ने परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान हुए कथित यौन उत्पीड़न और हिंसा के संबंध में आईसीसी के समक्ष संयुक्त शिकायत दर्ज कराई थी।

इसी तरह, अप्रैल में, छात्र संघ ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में चीनी और दक्षिण-पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र की एक छात्रा का उसके प्रोफेसर ने यौन उत्पीड़न किया और उसकी शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता ने उसे परिसर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

इन घटनाओं के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और शिकायतों से निपटने के आईसीसी के तरीके पर सवाल उठे।

भाषा

सिम्मी माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)