जेएनयू ने ‘बाहरी दबाव’ से इनकार करते हुए कहा, पश्चिम एशिया पर कोई संगोष्ठी रद्द नहीं की गयी

जेएनयू ने 'बाहरी दबाव' से इनकार करते हुए कहा, पश्चिम एशिया पर कोई संगोष्ठी रद्द नहीं की गयी

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  • Publish Date - October 25, 2024 / 07:43 PM IST,
    Updated On - October 25, 2024 / 07:43 PM IST

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) जेएनयू ने संतुलित चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराने की बात पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि उसने पश्चिम एशियाई संघर्ष पर कोई संगोष्ठी रद्द नहीं की है, बल्कि उसे तार्किक और प्रोटोकॉल संबंधी कारणों की वजह से एक संगोष्ठी स्थगित करनी पड़ी जिसमें ईरान के राजदूत इराज इलाही को बोलना था।

स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) के डीन अमिताभ मट्टू ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) इलाही को आमंत्रित करने की योजना बना रहा है, जो बृहस्पतिवार को इस विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करने वाले थे। मट्टू ने कहा कि अब उन्हें जल्द ही पुनर्निर्धारित तिथि पर, सभवत: अगले महीने, बुलाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि दो अन्य कार्यक्रमों के निमंत्रण आधिकारिक माध्यमों से नहीं भेजे गए थे इसलिए उन्हें रद्द करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इनमें सात नवंबर को होने वाला कार्यक्रम, जिसमें फलस्तीनी राजदूत को बोलना था तथा 14 नवंबर को होने वाला कार्यक्रम, जिसमें लेबनानी राजदूत को बोलना था शामिल थे।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के निर्णय के पीछे कोई “बाहरी दबाव” नहीं था और वे “अपने शैक्षणिक मंच की अखंडता बनाए रखना चाहते हैं”।

उनकी यह टिप्पणी संगोष्ठी समन्वयक सीमा बैद्य द्वारा छात्रों को ईरानी राजदूत की संगोष्ठी के स्थगित होने तथा “अपरिहार्य परिस्थितियों” के कारण दो अन्य कार्यक्रमों के रद्द होने की जानकारी दिए जाने के एक दिन बाद आई है।

मट्टू ने हालांकि शुक्रवार को कहा कि कोई भी संगोष्ठी रद्द नहीं की गयी है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “एकमात्र संगोष्ठी स्थगित की गयी है, जिसमें ईरानी राजदूत को बोलना था। ऐसा पश्चिम एशियाई अध्ययन केंद्र और संकाय के बीच संवादहीनता के कारण हुआ।”

मट्टू के अनुसार, संकाय सदस्य ने पश्चिम एशियाई अध्ययन केंद्र से परामर्श किए बिना ही राजदूतों को निमंत्रण भेज दिया, जिसके कारण व्यवस्था संबंधी चुनौतियां उत्पन्न हो गयीं।

पश्चिम एशिया संघर्ष से संबंधित चर्चाओं पर संभावित प्रतिबंधों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर मट्टू ने कहा, “हां, वैश्विक स्तर पर एक तनावपूर्ण माहौल है, और पश्चिम एशियाई मुद्दों पर गहन चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम चर्चाओं को प्रतिबंधित करेंगे। हमारा लक्ष्य विविध विचारों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना और हमारे अकादमिक मंचों की अखंडता को बनाए रखना है।”

भाषा प्रशांत पवनेश

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